Independent District : स्वतंत्र जिले का मुद्दा बन चुका राजनीतिक दलों के लिए गले का फांस

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राजकुमार मल

Independent District : स्वतंत्र जिलाः रोज तीखी बहस

चढ़ रहा पारा, बन रहा गले की फांस

 

 

 

Independent District : भाटापारा- जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है वैसे-वैसे स्वतंत्र भाटापारा जिले माँग को लेकर यहाँ पारा गर्माता जा रहा है। स्वतंत्र जिले का मुद्दा दोनों राजनीतिक दलों के लिए गले की फांस बन चुका है। अब इस मुद्दे पर आए दिन नोक-झोंक और तीखी बहस देखने को मिल रहा है। यह भी यथार्थ है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी की जीत-हार का फैसला भी स्वतंत्र जिले का मुद्दा ही करेगा।

जिला तो हम ही बनायेंगे –

एक तरफ जहां भाजपा इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस को घेरने में लगी हुई है, वहीं दूसरी ओर कांंग्रेस, रमन सरकार के 15 साल के कार्यकाल में भी भाटापारा को जिला नहीं बनाए जाने की बात को लेकर स्थानीय नेताओं पर निशाना साध रही है। जिले के मुद्दे पर हमेशा उदासीन रहे दोनों दल के नेता अब चुनाव करीब आते ही जिला तो हम ही, बनाएंगे की बात करने लगे हैं।

क्या कहते हैं कांग्रेसी –

साढ़े चार साल का सत्ता सुख भोगने के बाद कांग्रेस अब यह बयान दे रही है कि आने वाले चुनाव के बाद सरकार भी हमारी होगी, विधायक भी हमारा होगा और जिला भी, कांग्रेस ही बनाएगी। 15 साल तक रमन सरकार होने के बावजूद भाटापारा को जिला नहीं बनाना,भाटापारा में एक भी कार्यालय तक का न होना स्थानीय जनप्रतिनिधि की निष्क्रियता का परिणाम है।

भाजपा का पलटवार –

इस ज्वलंत मुद्दे पर भाजपा का सीधा आरोप है कि मुख्यमंत्री ने आदिवासी सम्मेलन में यह वादा किया था कि कांग्रेस की सरकार आने पर भाटापारा को स्वतंत्र जिले का दर्जा देंगे लेकिन साढ़े चार साल बीतने के बाद भी भूपेश सरकार ने भाटापारा को स्वतंत्र जिला नहीं बना कर यहां की जनता से विश्वासघात किया है। आने वाले चुनाव में आम जनता इसका जवाब जरूर देगी।

राजनीतिक द्वेष में पिस रही जनता-

 

 

 

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42 साल से जिले का दंश झेल रही आम जनता का विश्वास अब दोनों दलों से उठ चुका है। हमारी सरकार नहीं, हमारा विधायक नहीं इस फेर में भाटापारा की जनता पिस रही है। यह भी सत्य है कि आने वाले चुनाव में जिले का मुद्दा ही प्रमुख होगा। नेताओं की निष्क्रियता से त्रस्त आम जनता नोटा का विकल्प चुन ले तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।

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