Mad at the poor religion हरिशंकर व्यास
Mad at the poor religion पिछले आठ सालों में क्या हुआ? क्या कभी राजा के मुंह से यह वाक्य निकला कि गरीबी मिटा कर दम लूंगा? तभी गरीबों के, देश के उद्धारक नहीं बल्कि मंदिरों के उद्धारक का पर फोकस रहा है। इसलिए दस-बीस करोड हिंदुओं की गरीबी दूर की तो उतने वोट नहीं मिलेगी लेकिन पचास मंदिरों का उद्धार हुआ, गौमताओं को चारा-पानी मिला, दुश्मन को जंगल में हरा दिया तो भले देखा किसी न हो वोट मिलेगे थोक। हजार सालों में मंदिरों के विध्वंस में हिंदुओं की मनोदशा ऐसी बनी है कि मंदिर का बनना ही सबसे किमती उपलब्धि। गुजरे सप्ताह भारत के 140 करोड़ लोगों सहित दुनिया के 40 देशों के लोगों ने देखा कि कैसे प्रधानमंत्री ने 11 अक्टूबर को उज्जैन के महाकाल मंदिर के साढ़े आठ सौ करोड़ रुपए के पुनरूद्धार योजनाओं का लोकार्पण किया। उन्होंने महाकाल लोक देश को समर्पित किया। देश ने देखा कि कैसे प्रधानमंत्री नंदी के सामने बैठे हैं, कैसे शिवलिंग के सामने बैठ कर पूजा अर्चना कर रहे हैं और कैसे रुद्राक्ष के साथ ध्यान कर रहे हैं।
Mad at the poor religion इसी मौके पर उन्होंने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि महादेव बुलाएं और उनका यह बेटा न आए। सन् 1234 में इल्तुतमिश ने इस मंदिर पर हमला किया था। बाद में सिंधिया राजघराने ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। इससे पहले मार्च 2019 में काशी कॉरिडोर के निर्माण का काम प्रधानमंत्री ने शुरू कराया। फरवरी 2022 के चुनाव से ठीक पहले दिसंबर 2021 में इसके पहले चरण के काम का लोकार्पण किया। उस समय सबने प्रधानमंत्री को गंगा में डुबकी लगाते और लोटे में जल लेकर रूद्राभिषेक के लिए मंदिर में जाते लाइव देखा।
Mad at the poor religion पूरी पूजा का लाइव प्रसारण हुआ। इस मंदिर पर औरंगजेब ने हमला किया था और इंदौर की अहिल्याबाई होल्कर ने इसका पुनर्निर्माण कराया था।
Mad at the poor religion उससे पहले 2021 में प्रधानमंत्री ने सोमनाथ मंदिर से जुड़ी तीन परियोजनाओं का उद्घाटन किया। सबको पता है कि मोहम्मद गजनी ने सोमनाथ मंदिर पर कई बार हमला किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त 2020 में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास किया। तब भी देश ने भक्त प्रधानमंत्री की लाइव पूजा अर्चना देखी थी। अयोध्या का मंदिर बाबर ने तोड़ा था। प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले उन्होंने केदारनाथ के मंदिर के निर्माण के प्रोजेक्ट शुरू किए। 2013 में आई प्राकृतिक आपदा में मंदिर के आसपास और रास्तों में बड़ी तबाही हुई थी। उसका पूरा भव्य ढांचा नए सिरे से तैयार किया गया है। इसी तरह उत्तराखंड की चार धाम परियोजना हो या विदेशों में भव्य मंदिरों के उद्घाटन का कार्यक्रम हो, प्रधानमंत्री हर जगह मौजूद रहे।
Mad at the poor religion दुनिया में माना जाता है कि धर्म इंसान की निजी आस्था का मामला है। ज्यादातर लोग पूजा निजी तौर पर ही करते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे सार्वजनिक और सरकारी आस्था का विषय बना दिया है। कहा जाता है कि राजा का कोई धर्म नहीं होता उसका सिर्फ ‘राजधर्म’ होता है, जिसका पालन करने की सलाह एक बार अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी को दी थी। लेकिन पिछले आठ सालों से क्या है? राजा राजधर्म की बजाय हिंदू धर्म की ध्वजा उठाए हुए है। किसी भी समय के मुकाबले इस समय ‘धर्मो रक्षति रक्षित:’ यानी धर्म की रक्षा करो तो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा, का प्रचार हो रहा है। धर्म की रक्षा को सबसे बड़ा और सबसे जरूरी काम मान लिया गया है और देश के बहुसंख्यक लोग यह मानने लगे हैं कि धर्म की रक्षा में ही कल्याण है। सो, आधुनिक भारत के मंदिर निजी हाथों में सौंपे जाने लगे हैं और सरकार धर्म की रक्षा में जुट गई है क्योंकि उससे वोट मिल रहे हैं और चुनाव जीतना आसान हो गया है।