Patanjali Ayurveda आचार्य बालकृष्ण: वैश्विक शोधकर्त्ता वैज्ञानिक!

Patanjali Ayurveda

Patanjali Ayurveda वेद प्रताप वैदिक

Patanjali Ayurveda कैसी विडंबना है कि विश्व की भुखमरी सूची में भारत का स्थान 107 वां है याने दुनिया के 106 देशों से भी ज्यादा भुखमरी भारत में है और दूसरी तरफ हमें गर्व करने की यह खबर आई है कि विश्व की चिकित्सा पद्धतियों में भारत के आयुर्वेद को पहली बार अग्रणी सम्मान मिला है। यह सम्मान दिया है, अमेरिका की स्टेनफोर्ड युनिवर्सिटी और यूरोपीय पब्लिशर्स एल्सेवियर ने! यह सम्मान मिला है, पंतजलि आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण को! विश्व के प्रतिष्ठित शोधकर्त्ता वैज्ञानिकों की श्रेणी में अब उनकी गणना हो गई है।

Patanjali Ayurveda  यह अकेले आचार्य बालकृष्ण का ही सम्मान नहीं है। यह भारत की प्राचीन और परिणाम सिद्ध चिकित्सा-प्रणाली को मिली वैश्विक मान्यता है। स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने देश के करोड़ों लोगों के लिए उत्तम और सुलभ औषधियों का बड़े पैमाने पर निर्माण ही नहीं किया है बल्कि उन्होंने ऐसे बुनियादी अनुसंधान भी किए हैं, जो आयुर्वेद को एलोपेथी से भी अधिक प्रभावशाली और उपयोगी बना देते हैं।

Patanjali Ayurveda  ऐसे कुछ शोध-ग्रंथों का विमोचन कुछ वर्ष पहले मैंने और श्री नितीन गडकरी ने हरिद्वार के एक बड़े समारोह में किया था। अपने भाषण में उस समय मैंने कहा था कि शंहशाहों द्वारा बनाए गए महल और किले तो 5-7 सौ साल में ढेर हो जाएंगे लेकिन बालकृष्णजी के ये ग्रंथ चरक, सुश्रुत, वाग्भट आदि के ग्रंथों की तरह हजारों साल तक मानवता की सेवा करते रहेंगे। यदि भारत पर विदेशी आक्रमण नहीं होते तो हमारा आयुर्वेद आज दुनिया का सर्वश्रेष्ठ उपचार तंत्र बन जाता।

Patanjali Ayurveda  सौ साल पहले तक ऐलोपेथी के डाक्टरों को यह पता ही नहीं था कि आपरेशन के पहले मरीजों को बेहोश कैसे किया जाए? हमारे यहां हजारों साल पहले से चरक-संहिता में इसका विस्तृत विधान है। ऐलोपेथी कुछ वर्षों तक सिर्फ शरीर का इलाज करती थी लेकिन आयुर्वेद का वैद्य जब दवाई देता है तो वह मरीज़ के शरीर, मन, मस्तिष्क और आत्मा का भी ख्याल करता है।

  अब ऐलोपेथी भी धीरे-धीरे इस रास्ते पर आ रही है। आयुर्वेद का नाड़ी-विज्ञान आज भी इतना गजब का है कि दिल्ली के स्व. बृहस्पतिदेव त्रिगुणा जैसे वैद्य मरीज़ की सिर्फ नाड़ी देखकर ऐसा विलक्षण रोग-विश्लेषण कर देते थे कि जैसा ऐलोपेथी के आठ यंत्र भी एक साथ नहीं कर सकते हैं। आज सारी दुनिया में ऐलोपेथी लोगों का जितना भला कर रही है, उससे ज्यादा वह उनकी ठगी कर रही है।

भारत के करोड़ों गरीब लोगों को उसकी सुविधा नसीब ही नहीं है। भारत में आयुर्वेद, यूनानी, तिब्बती और होम्योपेथी (घरेलू इलाज) का अनुसंधान बढ़ जाए और आधुनिकीकरण हो जाए तो देश के निर्धन और वंचित लोगों का सबसे अधिक लाभ होगा। हमारे पड़ौसी देशों के लोग भी भारत दौड़े चले आएंगे। भारत के पड़ौसी देशों के लेागों को भारत से जोडऩे का यह सर्वोत्तम साधन है। भारत के वैद्य जिसकी जान बचा देंगे, वह भारत का भक्त हुए बिना नहीं रहेगा।

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