Sakthi Sarsiwa : श्रीमद् भागवत की कथा का एक लक्ष्य युवाओं और किशोरियों के उत्थान के लिए भी है

Sakthi Sarsiwa : श्रीमद् भागवत की कथा का एक लक्ष्य युवाओं और किशोरियों के उत्थान के लिए भी है

Sakthi Sarsiwa : श्रीमद् भागवत की कथा का एक लक्ष्य युवाओं और किशोरियों के उत्थान के लिए भी है

Sakthi Sarsiwa : सक्ती सरसीवा जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ l श्रीमद् भागवत की कथा का एक लक्ष्य युवाओं और किशोरियों के उत्थान के लिए भी है l

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Sakthi Sarsiwa : इस महापुराण के प्रथम वक्ता 16 वर्ष की आयु के किशोर SHUKDEV जी महाराज है , जिन्होंने पहली बार भारत भूमि की पुण्य धरा में श्रीमद्भागवत की कथा राजा परीक्षित को श्रवण कराया ,l

जिस प्रकार हम पूजा अर्चना करते समय तरोताजा और नए खिले हुए पुष्प ही भगवान को समर्पित करते हैं उसी प्रकार हमारी आयु के स्वस्थ और नई

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ऊर्जा तथा उत्साह का समय तरुणाई और किशोरावस्था भगवान को समर्पित करने से युवावस्था और जवानी दोनों ही शुद्ध हो जाती है l श्रीमद् भागवत में महारास लीला प्रसंग का वर्णन करते हुए सुंदर शरीर के मध्य भाग कटी अर्थात कमर को

संकेत करते हुए sumadhye कहा गया है उसी प्रकार मनुष्य की आयु का मध्य भाग उसकी जवानी है जो सुंदर और स्वस्थ भी होता है , और यही सुअवसर है अध्यात्म में प्रवेश कर स्वयं की ओर वापसी का , अपने स्वयं की समीक्षा तथा धर्म

पालन के लिए भगवत परायण बनाने और निष्ठा पूर्वक कृत संकल्पित होने का l दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कठिन नहीं होता , सफलता निश्चित ही मिलती है , यह आध्यात्मिक उद्गार सरसींवा में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के

सातवें दिन व्यासपीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवताचार्य राजेंद्र महाराज ने यदुवंश के युवाओं का अहंकार और उनके अस्तित्व की समाप्ति का वर्णन करते हुए प्रकट किया l

आचार्य ने बताया कि कथाएं केवल वृद्धजन के लिए ही नहीं होती , वृद्धा अवस्था आने पर तो सभी चाहते हैं की सत्संग और कथा स्थल पर चलें किंतु वृद्धावस्था आने पर शरीर और इंद्रियां दोनों ही सक्षम नहीं होते इसलिए महत्वपूर्ण यह है की शरीर

और इंद्रियों के स्वस्थ अवस्था में ही भगवान की भक्ति कथा और सत्संग का पूरा लाभ लेकर जीवन को कृतार्थ किया जा सकता है l भगवान श्रीराम ने भी रावण को युवावस्था में ही मारा था , मनुष्य जीवन में भी 6 शत्रु है , काम , क्रोध , lobh

,moh मद और मत्सर इन्हें भी जवानी में ही परास्त करना होगा l युवाओं एवं किशोरियों को अपनी नित नई प्रखरता एवं उर्जा व उत्साह के साथ उच्च शिक्षा हेतु एकाग्र भाव से संकल्पित होकर अपने माता पिता एवं परिवार व समाज को

गौरवान्वित करना ही होगा , दृढ़ संकल्प करने से कोई भी कार्य कठिन नहीं है l बालक ध्रुव ने 5 वर्ष की आयु में ही भगवान को साक्षात पा लिया था l अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सतत आगे बढ़ते हुए अपना भविष्य समर सकते हैं , राष्ट्र की युवा पीढ़ी

ही ही देश के भविष्य हैं और यह भी ध्यान रखना होगा कि राष्ट्र ही सर्वोपरि है , क्योंकि देश है तभी हम सब और हमारी संभावनाएं हैं l युवाओं में शिक्षा के साथ संस्कार और ज्ञान भी बहुत ही अनिवार्य है , तथा किशोरियों में शिक्षा के साथ

आत्मनिर्भरता और स्वयं की सुरक्षा अति महत्वपूर्ण है l केवल शिक्षा प्राप्त करके धनवर्षा तो कर सकते हैं किंतु समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान मनुष्य के दिव्य संस्कारों और ज्ञान मार्ग से ही प्राप्त होता है l कथा पंडाल में उपस्थित युवाओं और

किशोरियों के उत्साहवर्धन करते हुए आचार्य द्वारा यह आग्रह किया गया उन्होंने सुदामा चरित्र के करुण प्रसंग का सरस वर्णन करते हुए कलयुग मैं आत्म कल्याण का परम साधन भगवान नाम संकीर्तन एवं भगवन नाम स्मरण करना बताया l

मनुष्य अपने सभी प्रकार के कार्य दायित्व का निर्वहन करते हुए भगवान के प्रति आस्था रखकर नाम स्मरण करते रहें, श्रीमद् भागवत कथा विराम दिवस के इस अवसर पर रमेश jalan , किशन शुक्ला , गोपाल दुबे , पंडित रघु महाराज ,

शिवरात्रि केसरवानी , डॉक्टर बलदाऊ दुबे , मुंशी दुबे , विनोद दुबे , लक्ष्मी कांत पांडे , हरीश कुमार शुक्ला , कार्तिक सोनी , satanu केडिया , सुभाष जालान , कामिनी दुबे , दीपा दुबे , रुपेश मीनाक्षी गुरुद्वाn , गौरीशंकर सुनीता दुबे , सत्येंद्र अर्चना दुबे , अभिषेक बाला तिवारी , राहुल चंचल पांडे एवं सैकड़ों श्रोता उपस्थित थे l

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