Literary Discussion: साहित्यकार संतोष चौबे की नवीनतम कृति ‘गरीब नवाज़’ का लोकार्पण… हुई साहित्यिक चर्चा

इस कार्यक्रम में संतोष चौबे द्वारा उनकी पुस्तक की एक लंबी और प्रभावशाली कहानी ‘मगर शेक्सपियर को याद रखना’ का सशक्त पाठ किया गया, जिसने श्रोताओं को भावनात्मक और वैचारिक स्तर पर गहरे तक प्रभावित किया। साथ ही, इस कहानी संग्रह पर गहन और विचारोत्तेजक चर्चा भी आयोजित की गई।

‘गरीब नवाज़’ में संतोष चौबे ने कुल दस ऐसी उत्कृष्ट कहानियों को समाहित किया है, जो साहित्यिक दृष्टि से उच्च कोटि की हैं और पाठकों के लिए भावनात्मक, सामाजिक और सांस्कृतिक संदेशों से परिपूर्ण हैं। ये कहानियाँ मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक यथार्थ और जीवन की गहन जटिलताओं को उजागर करती हैं, जो संतोष जी की लेखनी की गहराई और उनकी साहित्यिक प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

आज की जनधारा के सलहाकार संपादक भालचंद्र जोशी ने कहा कि लेखक जो कुछ भी कहता है वह अपना अनुभव कहता है. उसको अपने अभिव्यक्ति की आजादी है. दुनिया को हर आदमी अपने नजरिए से देखता है. अनुभव की बात होती है तो मैं कहुंगा कहानी का काम सिर्फ अनुभव को कहना नही है. उसका काम है अनुभव की जटिलता को तोड़ना. इस कहानी में भी वैसा है. जिसमें उन्होने निबंधात्मक शैली को तोड़ता है. कई वाक्य ऐसे प्रकट हो जाती है जो पूरी कहानी को संभाल लेती है. यह कहानीकार की सजगता को बताता है
चेरी और नाना की कहानी में एक संवाद है कि जीवन को आर्कमीडिज के सिद्धांत पर नही जिया जा सकता. जैसे वह व्यक्ति पानी से भयभीत रहता है तो एक छोटी बच्ची उसे बुलाती है. तो जीवन साइंस के हिसाब से नही जिया जा सकता उसे दूसरी तरह से जीना होता है. इसके लिए छोटी-छोटी चीजों का जतन किया जाता है.

इंटरनेट पर गजल गुरू के नाम से प्रसिद्ध और जाने माने कथाकार पंकज सुबीर ने कहा कि वे पात्रों की बात करना चाहते है. जब भी वे किसी कहानीकार को पढ़ते है तो उनके पात्रों से बात करते हैं संवाद करते है . जिस कहानी गरीबनवाज की बात वे कर रहे है इसके लेखक अपने पात्रों को तैयार करने में बहुत मेहनत करते हैं. वे सार्वजनिक जीवन में जाते है तो उसे बहुत से लोग मिलते है कि मुझे पात्र में बदलों कविताओं में लाओं पर मुझे डिकोड करना पड़ेगा मैं जैसा हुं दिख रहा वैसा नही हूं. मेरे वैंपायर टीथ तुम्हे नजर नही आ रहा. किसी व्यक्ति को पात्र में बदला हो तो आपको टाइम ड्यूरेशन करना होगा उनके अतीत में जाना होता है संतोष चैबे भी मानने को तैयार नही कि रावण कंस और दुर्योधन खलनायक है. वे ये एक्सप्लोर करते हैं कि वे वैसे क्यों है.

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उर्मिला शिरीष ने कहा कि जब हम कहानियों को पढ़ने बैठते हैं कि कई चीजे भाषा के माध्यम से हमारे सामने आती है मैं मानती हूं कि जिस तरह की भाषा वे अपनी कहानियों में प्रयोग करते हैं वे अपने आप में अनोखा है. इससे ये पता लगता है कि इस तरह की कहानियों को लिखते समय आप समय उस समय की भाषा तक तभी पहुंचते हो जब आपके मन में चिंतन की धारा हो, ज्ञान हो, बौद्धिकता, और इतिहास से परिचित ज्ञान हो.

इस आयोजन में साहित्य जगत की कई प्रख्यात हस्तियाँ उपस्थित थीं, जिनमें वनमाली कथा के प्रधान संपादक और जाने-माने कथाकार मुकेश वर्मा, सुप्रसिद्ध कथाकार शशांक, और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उर्मिला शिरीष वरिष्ठ साहित्यकार, सुपरिचित कवि-आलोचक अच्युतानंद मिश्र और आज की जनधारा के सलहाकार संपादक भालचंद्र जोशी, इंटरनेट पर गजल गुरू के नाम से प्रसिद्ध और जाने माने कथाकार पंकज सुबीर  शामिल थे। इनके अतिरिक्त, कई गणमान्य अतिथियों, साहित्य प्रेमियों और बुद्धिजीवियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी यादगार बना दिया।

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