Kasdol News : प्रभु का वाराह अवतार एवं हिरण्याक्ष का संघार.. पं. कीर्तिकुमार पाण्डेय

Kasdol News : प्रभु का वाराह अवतार एवं हिरण्याक्ष का संघार.. पं. कीर्तिकुमार पाण्डेय

Kasdol News : प्रभु का वाराह अवतार एवं हिरण्याक्ष का संघार.. पं. कीर्तिकुमार पाण्डेय

प्रभु का वाराह अवतार एवं हिरण्याक्ष का संघार

भुवनेश्वर प्रसाद साहू

कसडोल समाचार

Kasdol News : ग्राम झबड़ी मे चल रही श्रीमद भागवत कथा के द्वितीय दिवस आचार्य पं. कीर्तिकुमार पाण्डेय जी द्वारा शुकदेव परीक्षित वार्ता के साथ कथा आरम्भ की!

Kasdol News : परीक्षित द्वारा सृष्टि की उत्त्पत्ति एवं विस्तार का प्रश्न पूछे जाने पर श्री शुकदेव जी महराज ने बताया की सर्वप्रथम भगवान  विष्णु की कमलनाभ से ब्रह्मा जी की उत्त्पत्ति हुई! फिर प्रभु ने ब्रह्मा जी को सृष्टि निर्माण की आज्ञा दी!

प्रभु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने दस मानस पुत्रो को प्रकट किया, पुनः भगवान रूद्र प्रकट हुये! किन्तु पृथ्वी के रसातल मे चले जाने के कारण प्रजा का विस्तार संभव नहीं हो सका!

तब ब्रह्मा जी की नासिका छिद्र से भगवान स्वयं वाराह के रूप मे प्रकट हुये, और हिरण्याक्ष का संघार करके भगवान ने पृथ्वी को रसातल से बाहर निकाला!

फिर ब्रह्मा जी से मनु एवं सतरूपा की उत्त्पत्ति हुई! मनु सतरूपा से तीन पुत्रियां एवं दो पुत्र हुये! जिसमे सबसे छोटी पुत्री प्रसूति का विवाह प्रजापति दक्ष के साथ संपन्न हुआ!

एवं उनके घर माँ भगवती स्वयं सती के रूप मे जन्म लेकर आयी! और माता सती का विवाह भगवान भोलेनाथ के साथ संपन्न हुआ! एक बार एक सभा मे दक्ष एवं शिवजी के बीच मतभेद हो गया!

इधर सती माता द्वारा भगवान श्रीराम की परीक्षा के लिए माता सीता का रूप धारण करने के कारण भगवान शिवजी द्वारा मन से माता सती का परित्याग कर दिया! एक बार दक्ष ने यज्ञ की रचना की, जिसमे भगवान शिवजी को आमंत्रित नहीं किया गया! माता सती ,शिवजी के मना करने पर भी अपने पिता के घऱ गईं!

और वहाँ अपने पति का अपमान देखकर योग अग्नि द्वारा अपने शरीर को जला दिया! इस समाचार से शिवजी बहुत क्रोधित हुए एवं वीरभद्र सहित अपने दूतो को दक्ष यज्ञ को विध्वंस करने भेजा!

शिवजी के गणो ने जाकर यज्ञ विध्वंस कर दिया एवं दक्ष के सिर को यज्ञ कुंड मे जला दिया! चारों तरफ हाहाकार मच गया! सभी देव भगवान शिवजी के पास आये एवं अपने भूल की क्षमा मांगी और दक्ष के यज्ञ रक्षा की प्रार्थना की!

तब भगवान भोलेनाथ ने बकरे का सिर जोड़कर दक्ष को जीवन दान दिया और यज्ञ को संपन्न कराया! पुनः माता सती पार्वती के रूप मे राजा हिमांचल के घर जन्म लेकर आयी!

और भगवान शिवजी के साथ माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ! इतनी कथा के साथ आज की कथा विश्राम हुई! आज की कथा मे ग्राम झबड़ी सहित ग्राम मड़कडा, सर्वा, बैजनाथ, कटगी, सहित आसपास के गाँव से भी श्रोता उपस्थित रहें ! शिव विवाह की सुन्दर झांकी निकाली गईं !

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