Jharkhand Latest News : हेमंत सोरेन की कुर्सी रहेगी या जाएगी? झारखंड में बढ़ा सस्पेंस
झारखंड की राजनीति के लिए आज का दिन बहुत बड़ा है. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का राजनीतिक भविष्य तय होने वाला है.
चुनाव आयोग द्वारा बंद लिफाफे में भेजी गई राय ने हेमंत सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. खबर है कि चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है. चुनाव आयोग की सिफारिश पर अंतिम निर्णय राज्यपाल को लेना है।
चुनाव आयोग का क्या फैसला है इसकी जानकारी अभी सीएम आवास पर नहीं पहुंची है. चुनाव आयोग की सिफारिश को लेकर राज्यपाल रमेश वैश्य आज बड़ा फैसला ले सकते हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार हेमंत सोरेन को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के उल्लंघन का दोषी पाया गया है. इसलिए उनकी सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा की जाती है.
सोरेन की कुर्सी को क्यों है खतरा?
भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने फरवरी 2022 में आरोप लगाया कि सोरेन ने रांची के अंगदा में उनके नाम पर खनन का पट्टा लिया था। इसलिए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गई थी।
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मामला सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टों और मुखौटा कंपनियों में उनकी और उनके करीबियों की हिस्सेदारी से जुड़ा है.
आरोप है कि सीएम हेमंत ने अपने पद का दुरूपयोग कर स्टोन क्वारी माइंस अपने नाम करवाई। सोरेन परिवार पर एक मुखौटा कंपनी में निवेश कर भारी संपत्ति अर्जित करने का आरोप है।
मामला सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग तक गया। चुनाव आयोग का फैसला राजपाल भवन पहुंच गया है… लेकिन झामुमो का सवाल है कि सीलबंद लिफाफे का फैसला कैसे निकला?
गठबंधन सरकार को कोई खतरा नहीं
अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी चली जाती है तो गठबंधन सरकार को फिलहाल कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है. इधर, झामुमो के 30 विधायकों के अलावा सरकार के पास कांग्रेस के 18 और राष्ट्रीय जनता दल के एक विधायक समेत करीब 50 विधायकों का समर्थन है.
दूसरी ओर, मुख्य विपक्षी दल भाजपा के पास 81 सदस्यीय विधानसभा में कुल 26 विधायक हैं, जबकि उसकी सहयोगी आजसू को दो विधायकों के अलावा आम तौर पर दो अन्य विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
ऐसे में उनके पास बीजेपी और सहयोगी दलों समेत अधिकतम 30 विधायकों का समर्थन है.