छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ लाया गया सामान 'आयात' की श्रेणी में आएगा और इस पर आयात शुल्क लगाया जा सकता है। यह फैसला विदेशी शराब पर लगाए गए आयात शुल्क के नोटिस को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया गया है।

जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य पुनर्गठन के बाद मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ अलग इकाइयाँ बन चुके हैं। ऐसे में दो राज्यों के बीच किया गया व्यापार अंतरराज्यीय व्यापार की श्रेणी में आएगा और उस पर आयात शुल्क वसूलना गलत नहीं है।
यह फैसला वर्ष 2001 में दाखिल की गई दो याचिकाओं पर दिया गया है। बिलासपुर के शराब कारोबारियों—गोल्डी वाइन प्राइवेट लिमिटेड और सतविंदर सिंह भाटिया—को आबकारी विभाग द्वारा वर्ष 2000-2001 में मंगाई गई विदेशी शराब पर आयात शुल्क चुकाने के लिए नोटिस भेजा गया था। कारोबारियों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि उन्हें पहले एनओसी के आधार पर माल परिवहन की अनुमति दी गई थी और उस समय किसी प्रकार का आयात शुल्क लागू नहीं था, क्योंकि यह राज्य पुनर्गठन से पहले की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली तारीख से शुल्क वसूला जाना अनुचित होगा और इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान होगा।
हालांकि, कोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया और आबकारी विभाग के नोटिस को उचित ठहराया। यह फैसला व्यापारिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और इसका असर अन्य पुराने मामलों पर भी पड़ सकता है।