:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- काफी जद्दोजहद व अनिश्चितता की स्थिति के बीच अंततः लगातार दबाव बनाए जाने के बाद नगर का सबसे व्यस्त व असुरक्षित मार्ग अग्रसेन चौक से जयस्तम्भ चौक तक के बीच डिवाइडर निर्माण का कार्य आज से प्रारंभ हुआ । इस संबंध में आज ही “आज की जनधारा ” ने इस संबंध में पुनः एक बार समाचार का प्रकाशन कर नगरपालिका प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था ।
इस संबंध में पूर्व नपाध्यक्ष द्वारा चुनावी फायदे के लिए पूर्व प्राक्कलन में व्यापारी हितों की आड़ लेकर काफी कुछ बदलाव कर गौरवपथ का निर्माण कराया गया । चुनाव में किसी भी तरह जीत हासिल किए जाने के लिए जिसने जैसा बोला उसके हिसाब से बदलाव किया जाता गया । एक वर्ग को खुश करने के लिए 6.5 किलोमीटर लंबे गौरवपथ में 53 स्थानों पर अनावश्यक रूप से क्रासिंग छोड़ा गया । यह छोड़े गए क्रासिंग बाद में अनेक दुर्घटनाओ व विरोध किये जाने के बाद अनेक क्रासिंगों को बन्द किया गया ।

कुछ स्थानों खासकर झिलमिला चौक से बैतारी चौक तक ही लगभग आधा किलोमीटर से भी कम दूरी पर 7-9 क्रासिंग छोड़ा गया था । सबसे खासियत बात यह है कि इस क्षेत्र में मानव बस्ती है ही नही उसके बावजूद इतना क्रासिंग छोड़ा जाना व्यक्तिगत हित की ओर इशारा करता है । आज भी आइल मिल व मंदिर के सामने क्रासिंग बन्द नही किया गया है ।
अग्रसेन चौक से जयस्तम्भ चौक नगर का हृदय स्थल व सर्वाधिक भीड़भाड़ वाला व्ययस्त मार्ग है । इसी मार्ग पर अभी तक अनेक दुर्घटनाएं घट चुकी हैं व जानमाल का नुकसान भी हो चुका है । इस मार्ग में सुरक्षा को देखते हुवे नगरवासियो ने कई बार शीघ्र डिवाइडर बनाये जाने की मांग की थी । पर पता नही क्यो व किस कारण इस स्थल पर आवश्यक होने के बावजूद डिवाइडर नही बनाया जा रहा था । अब डिवाइडर निर्माण प्रारम्भ होने से नगरवासियो ने खुशी जाहिर की है ।
ज्ञातव्य हो की अभी भी अग्रसेन चौक व जयस्तम्भ चौक के आसपास जिस तरह से काफी जगह छोड़कर डिवाइडर का निर्माण किया जा रहा है यह पूर्ण रूप से सुरक्षित नही है । काफी ज़गह छोड़े जाने से दुर्घटनाओ की सम्भावना बनी रहेगी ।
इसके साथ ही अग्रसेन चौक में स्थापित अग्रसेन महराज की मूर्ति को भी यथासम्भव स्थान पर स्थापित करना होगा । सड़क चौड़ीकरण के चलते सरसीवां रोड तरफ से आने – जाने के लिए चौक में जगह कम पड़ जाती है । खासकर ट्रकों व लंबी ट्रकों के लिए वाहनों को मोड़ने में काफी परेशानियों व खतरा बना रहता है ।
नगरपालिका में जब गौरवपथ का प्राक्कलन तैयार किया गया था उस समय कांग्रेस की नगर सरकार थी । गौरवपथ में 5 फिट ऊंची डिवाइडर , मात्र 13 क्रासिंग , सर्विस रोड व सहायक नाली का निर्माण होना था । किंतु अविश्वास प्रस्ताव के चलते कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के हट जाने के बाद भाजपा की नगर सरकार के पूर्व अध्यक्ष द्वारा नगरवासियो व व्यापारियों को सुविधा दिए जाने के नाम से व उसकी याद में आसन्न नगर अध्यक्ष के सीधे चुनाव को देखते हुवे राजनैतिक लाभ लेने व भारी विरोध के बावजूद चुनाव लड़ने व जितने के लिए पूर्व प्राक्कलन में काफी बदलाव कर दिया गया ।

चुनावी फायदे के लिए जिसने भी जैसा भी कहा वैसा निर्माण गौरवपथ में बदलाव कर दिया गया । आर्थिक लाभ के लिए 5 फिट के डिवाइडर को 2 फिट किया गया उसमे लोहे की जाली लगाई जा रही है । बताया गया कि 5 फिट के डिवाइडर के कारण लगने वाले पौधों को मवेशियों से खतरा है जबकि वास्तविकता यह थी कि अपने चहेते साथियों को दुकान नही दिखने के नाम से जानबूझकर छोटा किया गया आज की स्थिति में इसमे लगने वाले पौधों को आम से मवेशियों द्वार नुकसान किया जायेगा ।
इसी तरह 13 क्रासिंग के स्थान पर अनावश्यक रूप से 53 क्रासिंग छोड़ा गया । जिससे नगर में लाइट की सुंदरता प्रभावित तो ह्यो रही है साथ ही दुर्घटनाओ में भी बढ़ोतरी हुई ।लगातार समाचार के बाद काफी संख्या में क्रासिंग को बन्द किया गया । पर अभी तक जाम बहलीन मंदिर के पास आइल मिल व हनुमान मंदिर के पास के क्रासिंग को बन्द नही किया गया है ।
व्यापारियों , पैदल चल वालो व ग्राहकों की सुविधा हेतु सर्विस रोड भी बनना था पर वह अभी तक प्रारम्भ ही नही हुआ है व बनने की संभावना भी निकट भविष्य में दिखाई नही देती । इसी तरह घरों व दुकानो के पानी निकासी हेतु सहायक नाली का भी निर्माण होना था उसके बनने की भी संभावना नही है ।
चुनाव में किसी भी तरह जितने की मंशा के चलते अपने निजी स्वार्थ के चलते गौरवपथ निर्माण में काफी बदलाव कर दिए जाने से गौरवपथ का गौरव कलंकित ह्यो चुका है । यह भ्रश्टाचार का अड्डा साबित हो रहा है । इतने के बावजूद नपाध्यक्ष द्वारा कहा गया कि यह “कार्यो के स्वरूप में परिवर्तन किया गया है बदलाव नही ” इस प्रायोजित सफाई पर नपाध्यक्ष की काफी किरकिरी भी हुई थी । उसके बाद से आज तक नपाध्यक्ष का कोई भी व्यक्तव्य नही आया है । उनके नगरविकास , अनियमितताओं व भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भी व्यक्तव्य नही आना नगरविकास में उनकी भागीदारी व सक्रियता पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है ।