एनएचएम कर्मियों का सवाल…”आपने बनाया है, तो सवारेंगे कब…?”

कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार की बेरुखी और अड़ियल रवैये के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है। उनका कहना है कि बीते 20 वर्षों से वे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं। कोविड-19 जैसी महामारी के कठिन दौर में भी उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर जनता की सेवा की, फिर भी आज तक उन्हें मूलभूत सुविधाओं और अधिकारों से वंचित रखा गया है।

एनएचएम कर्मचारियों की 10 प्रमुख मांगे :

  1. संविलियन/स्थायीकरण
  2. पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना
  3. ग्रेड पे का निर्धारण
  4. कार्य मूल्यांकन प्रणाली में पारदर्शिता
  5. लंबित 27% वेतन वृद्धि
  6. नियमित भर्ती में एनएचएम कर्मचारियों के लिए आरक्षण
  7. अनुकम्पा नियुक्ति
  8. मेडिकल व अन्य अवकाश की सुविधा
  9. स्थानांतरण नीति
  10. न्यूनतम ₹10 लाख का कैशलेस चिकित्सा बीमा

कर्मचारियों ने याद दिलाया कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी, वन मंत्री केदार कश्यप सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने पूर्व में उनके मंच पर आकर समर्थन का आश्वासन दिया था। इतना ही नहीं, 2023 के चुनावी घोषणा पत्र “मोदी की गारंटी” में भी नियमितीकरण का वादा शामिल था।

इसके बावजूद बीते 20 महीनों में 160 से अधिक बार ज्ञापन और आवेदन सौंपने के बाद भी कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया। उल्टा सरकार ने बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी है, जिसके विरोध में विभिन्न जिलों के कर्मचारी प्रांतीय अध्यक्ष के आह्वान पर सामूहिक इस्तीफे भी दे चुके हैं।

हड़ताल के 24 दिन पूरे होने के बावजूद अब तक सरकार की ओर से किसी मांग पर आदेश जारी न होना कर्मचारियों के आक्रोश को और बढ़ा रहा है। आंदोलनकारी कर्मचारियों ने साफ कहा है कि जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं और साथियों की बर्खास्तगी की कार्रवाई वापस नहीं ली जाती, उनका संघर्ष इसी तरह जारी रहेगा।

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