बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कांकेर जिले के गांवों में पादरियों और धर्मांतरित ईसाइयों के प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रलोभन या गुमराह कर जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए होर्डिंग्स असंवैधानिक नहीं हैं। यह ग्राम सभाओं द्वारा स्थानीय जनजातीय संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए उठाया गया एहतियाती कदम है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं दिग्बल टांडी और नरेंद्र भवानी को पेसा नियम 2022 के तहत ग्राम सभा या संबंधित अधिकारियों के पास जाने का निर्देश दिया।

राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि याचिकाएं केवल आशंका पर आधारित हैं, और 14 अगस्त 2025 के सर्कुलर में नफरत फैलाने या होर्डिंग्स लगाने का कोई निर्देश नहीं दिया गया था। अदालत ने माना कि ऐसे होर्डिंग्स सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।