-
High Court,अदालत से बरी हुए एएसआई को नहीं किया बहाल, हाईकोर्ट ने डीजीपी से किया जवाब तलब
-
High Court,अदालत से बाइज्जत बरी हुए एक एएसआई को पुलिस विभाग ने बहाल नहीं किया।
बिलासपुर
इस मामले High Court ने डीजीपी को तलब किया है। गुरूवार को जस्टिस पी. सेम कोशी ने एएसआई की याचिका को स्वीकार करते हुए पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा से जवाब तलब किया है।
हम आपको बता दें कि High Court ने 4 जनवरी को डीजीपी को याचिकाकर्ता के पुनर्विचार याचिका का निस्तारण 60 दिनों के भीतर करने का आदेश दिया था।
Also read : https://jandhara24.com/news/106519/world-youth-skill-day-know-why-world-youth-skill-day-is-celebrated
High Court ,इसके बाद भी एएसआई को सेवा में बहाल नहीं किया गया। अब उच्च न्यायालय ने डीजीपी को नोटिस जारी किया है।
आखिर क्या है पूरा मामला
High Court उच्च न्यायालय बिलासपुर के अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने बताया कि बीजापुर निवासी आनंद जाटव सुकमा जिले में एएसआई के पद पर तैनात थे।
एक आपराधिक मुकदमे के दौरान, पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) बस्तर रेंज ने अपनी पोस्टिंग के दौरान सुकमा थाने में आनंद जाटव के खिलाफ अपराध दर्ज करने के बाद उन्हें सेवा से सस्पेंड कर दिया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सुकमा ने 13 अप्रैल 2021 को मामले में आपराधिक मुकदमे के बाद एएसआई को बाइज्जत बरी कर दिया था।
Also read : 15 July, BJP की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का Chhattisgarh दौरा आज
इसके बाद भी डीजीपी ने आनंद जाटव को सेवा में बहाल नहीं कर उनकी अपील खारिज कर दी। इस पर आवेदक ने दोबारा डीजीपी के समक्ष समीक्षा आवेदन प्रस्तुत किया।
उच्च न्यायालय के आदेश को भी दिखाया ठेंगा
High Court इस मामले में 4 जनवरी को हाईकोर्ट ने डीजीपी को याचिकाकर्ता के पुनर्विचार याचिका का निस्तारण 60 दिनों के भीतर करने का आदेश दिया था।
इसके बाद भी एएसआई को सेवा में बहाल नहीं किया गया। आनंद जाटव ने अधिवक्ता अभिषेक पांडे और लक्ष्मी कश्यप के माध्यम से उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की।
अधिवक्ता अभिषेक और लक्ष्मी ने माननीय अदालत के समक्ष तर्क दिया कि पुलिस विनियमन 1861 के पैरा-241 में एक प्रावधान है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी चल रहे
आपराधिक मुकदमे/मामले में पूरी तरह से बरी हो जाता है, तो उसे सेवा में बहाल किया जा सकता है। वो वैधानिक तौर पर इसका हकदार है। इसके बाद भी डीजीपी अशोक जुनेजा ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया।
उन्होंने याचिकाकर्ता को सेवा में बहाल नहीं किया है।
न्यायमूर्ति कोशी ने अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद मामले को स्वीकार करते हुए डीजीपी जुनेजा को नोटिस जारी कर मामले में तत्काल अपना जवाब पेश करने का आदेश जारी किया है।
High Court ,अब देखने वाली बात ये होगी कि इस मामले को लेकर डीजीपी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के समक्ष क्या सफाई पेश करते हैं ?