:राजकुमार मल:
भाटापारा- संदेह नाॅन परमिटेड सिंथेटिक फूड कलर के उपयोग का। नजर में थी रोस्टेड
चना बनाने वाली दो इकाइयां। औचक और प्रारंभिक जांच में फूटा चना की
स्थितियां सामान्य नहीं मिली। इसलिए दोनों इकाइयों से फूटे चने के सैंपल लिए गए हैं।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन की सक्रियता वैसे तो पूरे साल नजर आती रही है लेकिन इस बार प्रशासन की सक्रियता और सख्ती पहली बार फूटा चना बनाने वाली इकाइयों में देखी गई। सकते में हैं शहर की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां क्योंकि फूटा चना कारोबार को अब तक साफ-सुथरा व्यापार माना जाता था।

दो इकाइयों से, लिए सैंपल
खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जांच टीम ने शहर की मेसर्स कोमल उद्योग और मेसर्स आनंदम एग्रो इंडस्ट्रीज में दबिश दी। सख्त तेवर में हुई जांच में फूटा चना में ओरामिन नामक फूड कलर का होना पाया गया। यह नॉन परमिटेड सिंथेटिक फूड कलर है, जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों को असुरक्षित बनाता है। इसलिए दोनों इकाइयों से रोस्टेड चना का सैंपल लिया गया है।
परीक्षण रिपोर्ट के बाद कार्रवाई
खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जांच टीम ने फूटा चना के जो सैंपल लिए हैं, उन्हें नेशनल कमोडिटीज मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड गुरुग्राम हरियाणा भेजा गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। बहरहाल फूड एंड सेफ्टी की इस कार्रवाई के बाद खाद्य कारोबारियों में हड़कंप की स्थिति देखी जा रही है।
नजर यहां भी जरूरी
सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं नॉन परमिटेड सिंथेटिक फूड कलर का उपयोग खाद्य सामग्रियों में किया जाना। ऐसे में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की नजर स्ट्रीट फूड काउंटरों की ओर है। इनमें चाट, मोमोज और जलेबी बनाने और बेचने वाली दुकानें मुख्य हैं। जहां अधिकतर उपभोक्ता बच्चे ही होते हैं। सख्त कार्रवाई की जरुरत यहां भी महसूस की जा रही है।

भाटापारा की जिन दो इकाइयों की जांच की गई है, वहां रोस्टेड चना में नॉन परमिटेड फूड कलर का उपयोग किए जाने का संदेह है। इसलिए फूटे चने के सैंपल लिए गए हैं। परीक्षण रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
:अक्षय कुमार सोनी, अभिहित अधिकारी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, बलौदाबाजार: