गरियाबंद में जलाराम बापा की 225वीं जयंती: गुजराती समाज ने श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया

गरियाबंद। 225वीं जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ रविवार 08 नवंबर को मनाई गई। इस अवसर पर गुजराती समाज का उत्साह देखते ही बना।गांधी मैदान स्थित हरीश भाई ठक्कर के निज निवास पर जलाराम बापा के तैल चित्र में मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। गुजराती समाज के साथ अन्य समाज के लोगों ने पूजा की। वहीं,अभिषेक, पूजन, दीप दान,महाभोग का अनुष्ठान किए गए। महाआरती के बाद महिलाओं ने भजन कीर्तन कर जलाराम बापा का गुणगान किया। जयंती पर पूजन के बाद लोगोंं के बीच प्रसाद बांटा गया, खिचड़ी, कढ़ी, नुक्ती और गठिया का प्रसाद वितरित किया गया।भजन और गरबा में समाज की महिलाओं और पुरुष बच्चों बुजुर्गों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

उनके जीवन का मूलमंत्र था “सेवा ही धर्म है.” बापा का मानना था कि ईश्वर की सेवा उन्हीं इंसानों की सेवा में है जो जरूरतमंद हैं-रोमा सरवैय्या

रोमा सरवैय्या ने जलाराम बप्पा जी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बतलाया जलाराम बापा ने अपने जीवनकाल में अन्नदान की परंपरा को अत्यधिक महत्व दिया. उन्होंने सदाव्रत नामक भोजनालय की स्थापना की. यहां जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया जाता था. उन्होंने अपना पूरा जीवन अन्नदान और लोगों की सेवा में अर्पित कर दिया.महान संत जलाराम का जन्म संवत 1856 को कार्तिक शुक्ल सप्तमी को राजकोट के पास ग्राम वीरपुर में हुआ था उनके पिता प्रधान ठक्कर तथा माता राजबाई धार्मिक संस्कारों वाली महिला थी जिसका प्रभाव जलाराम पर भी हुआ, उन्होंने प्रभु भक्ति और मानव सेवा अद्भुत मिशाल कायम की,संत जलाराम ने अपने गुरु भोजलराम के आशीर्वाद से उन्होंने सदाव्रत नाम से भोजनशाला आरंभ की जिसमें साधु संतों व राहगीरों के लिए 24 घंटे निशुल्क भोजन की व्यवस्था की जाती हैं लोगों ने उनके धैर्य व प्रभु भक्ति की अनेक कठिन परिक्षाएं ली लेकिन जलाराम बापा सभी परिक्षाओं में खरे उतरे, लोगों को उनके आशीर्वाद से अनेक चमत्कार घटित होते देखें जिससे उनकी ख्याति तथा एक सिद्ध संत के रूप में जन आस्था का केंद्र बन गये तथा संत जलाराम बापा के रूप में पूजें जाने लगे।

यह मान्यता है कि आज भी जो सच्चे मन से बप्पा की पूजा करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है आज भी जलाराम बापा के तीर्थ के रूप पूरे विश्व में विख्यात है। हरीश भाई ठक्कर के निज निवास में जहाँ हमेशा की तरह पूज्य संत श्री जलाराम बापा की पूजा अर्चना कर प्रसाद वितरण किया जाता है श्रद्धालुओं के पूजा अर्चना एवं स्वल्पाहार की व्यवस्था की जाती है दोपहर में भोजन प्रसाद वितरित होता है जिसमें गुजराती के आलवा शहर के सभी वर्ग के शताधिक श्रद्धालु शामिल होकर जलाराम बापा का प्रसाद ग्रहण करते हैं

उल्लेखनीय है कि गुजराती समाज द्वारा ठक्कर परिवार के निज निवास में जो परम्परा आरंभ हुआ है आज वृहद स्वरुप ग्रहण कर चुकीं है। और प्रति वर्ष सैकड़ों लोग श्री जलाराम बापा की जयंती में शामिल होकर पुण्य के भागी बन रहे हैं इस वर्ष जलाराम बापा की जयंती धूमधाम से मनाया जा रहा है,सामाजिक जनों ने कहा कि संत शिरोमणी जलाराम बापा ने सदैव मानवता की सेवा की है, जिससे हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। जयंती के अवसर पर समाज जनों ने पीड़ित मानवता की सेवा करने का संकल्प लिया है। इसके अलावा समाज में रचनात्मक और सृजनात्मक कार्यों को गति प्रदान किया जाएगा।

इस अवसर पर समाज प्रमुख- घनश्याम भाई भारत भाई हरीश भाई संजय भाई नितिन भाई हसमुख भाई अरविंद भाई,
भानुमति ठक्कर,भावना बेन ठक्कर, नैना बेन सरवैया,रेखा बेन वखारिया, रीता बेन वखरिया, कल्पना वखारिया, राजश्री ठक्कर, कोकिलाबेन,रीना वखारिया,अनिता मयानी,ममता मयानी, नूतन संघानी,हेमा बेन,रोमा सरवैया,माधवी सरवैया,अवनि सरवैया,जेसल ठक्कर, रुपाली ठक्कर, भक्ति ठक्कर,स्वाति वखारिया, पिंकी वखारिया, चेतना वखारिया,मानसी निकिता खिलोशिया,सपना संगानी, चंचल टांक,दीप्ति ज्योति मयानी,