रायपुर: पांच दिवसीय मुक्तिबोध राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शानदार आगाज हो गया है. दो महिला निर्देशकों के नाटक के साथ शुरू हुए इस समारोह में 16 नवंबर तक में देश भर के जाने माने साहित्यकार,रंगकर्मी अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरेंगे. पांच दिवसीय इस उत्सव में कहानी और नाटकों का मंचन होगा साथ ही कविता पाठ भी किया जाएगा.

छत्तीसगढ़ फिल्म एवं विजुएल आर्ट सोसाइटी, रायपुर के तत्वावधान मे दिनांक 12 से 16 नवंबर तक आयोजित राष्ट्रीय मुक्तिबोध नाट्य समारोह का शुभारंभ रायपुर स्थित रंगमंदिर प्रेक्षागृह मे स्वर्गीय मुक्तिबोध जी के चारो पुत्र रमेश मुक्तिबोध, दिवाकर मुक्तिबोध, दिलीप मुक्तिबोध और गिरीश मुक्तिबोध द्वारा मुक्तिबोध जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ |

उदघाटन सत्र मे सुभाष मिश्रा ने दर्शकों को समारोह की रूपरेखा से अवगत कराते हुए बताया कि समारोह मे अगले पाँच दिनो तक देश भर से आए कुल आठ नाटकों के मंचन के साथ–साथ कविता पाठ, किताबों की प्रदर्शनी और छत्तीसगढ़ की महिला चित्रकारों की कृतियों की प्रदर्शनी का आनंद लिया जा सकेगा |

समारोह के पहले दिन दो महिला निर्देशकों के नाटकों का मंचन लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा | निर्देशिका श्रीमती रचना मिश्रा ने लेखिका उषा प्रियम्वदा की प्रसिद्ध कहानी “वापसी” पर आधारित नाटक का मंचन किया | यह कहानी नौकरी से रिटायर एक व्यक्ति गजाधर बाबू की भावनात्मक यात्रा का संवेदनशील चित्रण है |

परिवार, पीढ़ियों के बीच बदलते मूल्य और संयुक्त परिवार के विघटन पर आधारित इस नाटक की प्रस्तुति मे गणेशी का किरदार अनुभव मोती, बाबू जी- पिंकु वर्मा, मां- रितु सेलोत, अमर- उमेश उपाध्याय, रामा-आदित्य देवांगन, छोटी बहन का किरदार ऋषिका दत्त ने अपने प्रभावशाली अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया | साउंड और म्यूजिक प्रथम गुप्ता ने संभाला।

समारोह का दूसरा नाटक “आपस की बात” का मंचन मुंबई स्थित “अंक नाट्य समूह” से जुड़ी निर्देशिका एवं अभिनेत्री ने सुश्री प्रीता माथुर ठाकुर के निर्देशन मे हुआ | सुश्री प्रीता माथुर ठाकुर ने बताया कि उनका यह नाटक प्रसिद्ध नाटककार व उनके पति स्व. श्री दिनेश ठाकुर द्वारा रूसी साहित्यकार एंटोन चेखोव की चार कहानियों से लेकर उन्हे नाटक मे रूपांतरित किया गया है | यह नाटक हास्य के साथ शोषण की सामाजिक विडम्बना और कुरूपता पर गहरा आघात करती है |
निर्देशिका प्रीता माथुर ठाकुर की सशक्त प्रस्तुति और नाटक के पात्रों प्रीता माथुर ठाकुर मालकिन, अमन गुप्ता राइटर सुमित सिन्हा, शंकर अय्यर अल्बर्ट डिकोस्टा, रवीश राठी राठी, सपना चौबीसा मिली, गौरव कुमार निखिल, अक्षांश सिंह हवलदार. के शानदार अभिनय ने दर्शकों को हंसी और चिंतन दोनों से भर दिया | नाटक मे लाइट शिवाजी शिंदे, साउंड अमन गुप्ता एवं म्यूजिक अक्षांश सिंह के द्वारा दी गयी थी |

नाट्य समारोह के दौरान जाने-माने चित्रकार श्री अवधेश वाजपई की प्रदर्शित कलाकृतियाँ और राजधानी रायपुर की सात महिला चित्रकारों क्रमशः जया भागवानी, सुनीता द्विवेदी, डॉ. मोनिका अग्रवाल, डॉ. इन्दु अग्रवाल, डॉ. किरण अग्रवाल, इन्दु चटर्जी, सुजाता देशमुख, एवं अनुष्का चक्रवर्ती के चित्रों की प्रदर्शनी ने समारोह मे साहित्य का समा बांधे रखा |

नाटक के दर्शकों के साथ साथ बुक स्टॉल पर भी पाठकों का अच्छा जमावड़ा दिखा और समारोह मे नए एवं युवा कलाकारों के लिए ओपेन माइक के आयोजन ने समारोह मे चार चांद लगाते हुए दर्शको को अपनी कला के प्रदर्शन का भरपूर मौका दिया गया |
समारोह के दूसरे दिन यानि आज दिनांक 13 नवंबर को कार्यक्रम की शुरुआत मुक्तिबोध की कविताओं के गायन से होगी तत्पश्चात रामधारी सिंह दिनकर की रचना रश्मिरथी का मंचन श्री हरीश हरीऔध के निर्देशन मे सुरभि, बेगूसराय द्वारा किया जाएगा |