(Godhan Justice Scheme) गौठानों के जरिए आर्थिक सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहे स्वसहायता समूह

(Godhan Justice Scheme)

(Godhan Justice Scheme) सामूहिक बाड़ी जैसी आजीविकामूलक गतिविधियों से समूह की महिलाओं ने अर्जित

(Godhan Justice Scheme) धमतरी / गोधन न्याय योजना के तहत निर्मित गौठानों में न सिर्फ गोबर की खरीदी, खाद निर्माण और बिक्री भी की जा रही है, बल्कि इसके इतर आजीविका सृजन के नवीन मापदण्ड अपनाए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्वावलम्बी, सम्बल और मजबूत बनती जा रही है। गौठान अब न केवल गोबर खरीदी-बिक्री केन्द्र हैं, बल्कि जीवनयापन का सशक्त माध्यम बन चुके हैं।

इन गौठानों में वर्मी खाद और विक्रय के अलावा सब्जी उत्पादन, मशरूम स्पॉन, मुर्गी पालन, बकरीपालन, अण्डा उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, मसाला निर्माण, कैरीबैग एवं दोना-पत्तल निर्माण, बेकरी निर्माण, अरहर एवं फूलों की खेती सहित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को समूह के सदस्य भलीभांति अंजाम दे रहे हैं।

जिले के कुरूद विकासखण्ड के गौठानों में आजीविकामूलक गतिविधियों की सफलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्पादन कार्य के लागत व्यय को अलग करने के बाद लगभग लाखों रूपए की अतिरिक्त आय इन समूहों को हुई है, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।


कुरूद विकासखण्ड के गौठानों में वर्मी खाद के अलावा अन्य गतिविधियां सफलतापूर्वक संचालित हो रही हैं। यहां 82 गौठानों में से दो रीपा गौठान हैं जहां पर गतिविधियों में नवीन कार्य शामिल किए जाने की कवायद की जा रही है।

सामुदायिक बाड़ी विकास के तहत कुरूद ब्लॉक के गातापार को., चटौद, भेण्डरा, सिहाद, हंचलपुर, तर्रागोंदी, पचपेड़ी, भेलवाकूदा, सौराबांधा, सेमरा सि., रामपुर, सुपेला, देवरी, जोरातराई सी., संकरी, गोजी, मरौद, सिंधौरीकला, मंदरौद, नवागांव उ., गाडाडीह उ., कुहकुहा, मोंगरा, बानगर, भुसरेंगा, सिरसिदा के गौठानों में विभिन्न प्रकार की मौसमी सब्जियां की पैदावार ली जा रही है। गौर करने वाली बात यह है कि इनके लिए उन्हीं गौठानों में उत्पादित वर्मी जैविक खाद का उपयोग किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सर्वश्रेष्ठ है।

(Godhan Justice Scheme) समूह की महिलाएं अलग-अलग उत्पादन कार्य से जुड़कर एक-दूसरे के साथ चेनलिंक की तरह कार्य कर रही हैं। सब्जी की बोआई देखरेख, निंदाई, गुड़ाई, से लेकर तोड़ाई और उत्पादित सब्जियों की पैकेजिंग कर गौठानों से सब्जी मण्डी तक वाहनों में भेजने तक के कार्य का न सिर्फ दक्षतापूर्वक निर्वहन कर रही हैं, अपितु बहीखातों का लेखा-जोखा भी वो खुद कर रही हैं। बिना मेहनत के बिचौलियों की जेब जाने वाली रकम की जगह अब उन्हें प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिल रहा है।

(Godhan Justice Scheme) पचपेड़ी गौठान में मां कर्मा कृषक अभिरूचि महिला स्वसहायता समूह के द्वारा सामूहिक बाड़ी विकास के तहत सब्जी-भाजी की पैदावार ली जा रही है। महिलाओं के द्वारा टमाटर, बरबट्टी, लौकी, बैंगन, भिण्डी, कद्दू मुनगा, केला सहित विभिन्न प्रकार की शाक-भाजियां और मेड़ों पर अरहर की फसलें लेकर स्वावलम्बन की ओर बढ़ रही हैं।

कल तक घर की चारदीवारी तक सीमित रहने वाली महिलाएं आज आत्मनिर्भर होकर अपने घर-परिवार को आर्थिक सहयोग देने में बराबर की भागीदारी निभा रही हैं। समूह की अध्यक्ष लक्ष्मी साहू ने बताया कि प्रदेश सरकार की की गोधन न्याय योजना और नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के चलते वे स्वावलम्बी हो पाई हैं और न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सामाजिक और मानसिक रूप से वे सम्बल, सुदृढ़ और सम्पन्न हुई हैं।

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