Gariaband latest news : अक्ती तिहार पर रचाई गुड्डे-गुड़िया की शादी

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Gariaband latest news पुराना मंगल बजार पर सजे चार मंडप, विवाह गीत पर झूमकर नाचे बच्चे

 

Gariaband latest news गरियाबंद  ! अक्षय तृतीया यानी अक्ती के शुभ अवसर पर छत्तीसगढ़ में गुड्डा-गुड़िया के विवाह की रस्म अदायगी होती है. गांवों में बच्चों ने गुड्डा-गुड़िया की शादी रचाई. इस दौरान मिट्टी के गुड्डा-गुड़िया की पूजा अर्चना की गई.साथ ही साथ किसी असली शादी के जैसे ही रस्म निभाए गए. इस पर्व का हिंदू रीति रिवाज में बड़ा ही महत्त्व है नन्हें-मुन्हें बराती निकले। घरातियों ने भी उनका स्वागत किया। सारा इंतजाम बच्चों की ओर से किया गया था। अक्ती के मौके पर गांव के गली मोहल्लों में विवाह गीत बजते रहे।

 

पुराना मंगल बाज़ार में सजे चार मंडप

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Gariaband latest news  गरियाबंद के सबसे पुराने मुहल्ले में एक पुराना मंगल बाज़ार जहाँ आज अक्षय तृतीया पर पर सबसे ज्यादा बच्चों में उत्साह दिखाई दिया।नन्ही स्नेहा ने अपने घर में ही पूरा शादी का कार्यक्रम रखवाया और बाक़ायदा पूरे रश्म रिवाज के साथ मंडप सजाया और गुड़ियों की शादी रचाई गई।

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Gariaband latest news  स्नेहा के पिता दीप सिन्हा ने बतलाया बच्चो को उनके परंपरा और रश्मो रिवाज को जानने और समझाने के के लिए अक्षय तृतीय की परंपरा वर्षों से चली आ रही है , गुड्डा-गुड़िया का ब्याह रचाते समय दोनों पक्ष के लोग बाकायदा तालाब से चूलमाटी लेने जाते हैं।

Gariaband latest news देवी-देवता को प्रतिष्ठापित करते हैं, आज घरों में बच्चों की टोली ने बड़ों के साथ मिलकर मंडप सजाया। फिर विधि-विधान के साथ गुड्डे-गुड़ियों की शादी की। घरातियों ने भी उनका स्वागत किया।

इससे पहले बच्चों ने गुड्डे-गुड़ियों के ब्याह का निमंत्रण दिया। गुड़िया की शादी में बच्चों ने चूलमाटी से लेकर हल्दी चढ़ाने की रस्म निभाई। एक आम शादी की तरह ही सभी रस्म पूरी की गई।

बच्चों का पक्ष गुड्डे और दूसरा पक्ष गुड़िया के साथ रहा। मंडप तक बरात पहुंचे और विवाह की रस्म पूरी की।

बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए परिवारजन और मोहल्ले वासी भी पहुंचे। गुड्डे-गुड़िया को पीले चावल का तिलक लगाते हुए टिकवन भेट किया। फिर मंडप में बच्चों का उत्साहवर्धन करने बड़ों ने टिकावन दिया।शादी के बाद गुड़ियों की विदाई की भी रस्म निभाई गई। सारा इंतजाम बच्चों की ओर से किया गया था। अक्ती के मौके पर गांव के गली मोहल्लों में विवाह गीत बजते रहे।

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आज के दिन बिना पंचांग देखे ही शुभ कार्य करने की परंपरा है. इस महामुहूर्त को छत्तीसगढ़ में ‘अक्ती’ के रूप में जाना जाता है. इस पर्व का हिंदू रीति रिवाज में बड़ा ही महत्त्व है.

Gariaband latest news  इस दिन माता-पिता अपने विवाह योग्य संतानों का विवाह पंडितों, पुजारियों से बिना पूछे ही तय कर देते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि इस महामुहूर्त में हर रश्म को निभाया जा सकता है.

सभी प्रकार के शुभ काम हो सकते है. इस मुहूर्त में किसी भी तरह के नए व्यवसाय का शुभारंभ, गृह प्रवेश, सगाई, शादी, नामकरण, जनेऊ संस्कार करने से वह फलदाई होता है.

संस्कृत भाषा में, ‘अक्षय’ शब्द का अर्थ है ‘कभी कम न होने वाला’. ऐसा माना जाता है कि यज्ञ, हवन, दान और जप का लाभ व्यक्ति के साथ हमेशा बना रहता है.

Gariaband latest news ऐसा कहा जाता है कि जो जोड़े अक्षय तृतीया के दिन शादी करते हैं उन्हें अनंत समृद्धि और एक साथ रहने का आशीर्वाद मिलता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि सूर्य और चंद्रमा अपने सबसे उज्ज्वल चरण में रहते हैं और ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन किसी भी शुभ मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है.

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