Gariaband breaking news : 22 वर्षों से बेड़ियों में जकड़े महेश दर्दनाक जिंदगी जीने को मजबूर, आइये जानते है इस युवक की दुःख भरी दास्ताँ

Gariaband breaking news :

Gariaband breaking news 22 साल से रस्सियों से बंधी जिंदगी …

4 बाई 4 की झोपड़ी में बंधक बनाकर जीने को मजबूर मानसिक रूप से कमजोर महेश भुंजिया ।

Gariaband breaking news गरियाबंद !  हर माँ बाप का सपना होता है कि उसका बेटा बुढ़ापे में उसका सहारा बने लेकिन अग्नीबाई की मजबूरी इसके उल्ट है बुढ़ापे की इस दहलीज पर उसे अपने साथ साथ अपने बच्चे के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने घंटो जंगल में वनोपज ढूंढना पड़ता है गरियाबंद जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम कोपेकसा के आश्रित ग्राम सुखरी डबरी में एक भूंजिया युवक महेश नेताम मानसिक रूप से कमजोर है !

इसकी उम्र लगभग 30 वर्ष है वह पिछले 22 सालो से 12 माह इसी हालत में 4×4 की झोपड़ी में केवल लंगोट पहने हुए रस्सियों से बंधे हुए एक बंधक की तरह दर्दनाक जिंदगी जीने को मजबूर है । बेड़ियों में बंधी ये महेश की हालत आपको काफी विचलित कर सकती है । महेश के परिजन ने पिछले कई सालों से उसके ईलाज के लिए कई बार विभिन्न माध्यमों से जिला प्रशासन से गुहार भी लगाई पर नतीजा विफल रहा।

महेश के चाचा कल्याण सिंह नेताम ने बताया की वह बचपन से ही मानसिक रूप से कमजोर है । बचपन में खेलते खेलते चूल्हे में जलती हुई लकड़ियों में गिर गया था । जिससे उसके हाथ पैर जल गए थे तब से हम उसे बांध के रखते है खुला छोड़ने पर वो कई बार जंगल की तरफ भाग जाता है । इसलिए जब उसकी मां काम करके वापस आती है तो रात में उसे अपने साथ सुलाती है और सुबह फिर उसे बांध दिया जाता है । वह जब 4 -5 साल का था तब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी । सात भाई बहनों में महेश दूसरे नंबर का है तीन बहनों की शादी हो चुकी है और तीन भाई कमाने के लिए दूसरे राज्य में गए हुए हैं महेश का न ही आधार कार्ड बना है और न ही राशन कार्ड बन पाया है !

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने विशेष पिछड़ी जनजाति के भुंजिया परिवार के लिए शासन प्रशासन द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है । इनके लिए करोड़ों रूपए का बजट भी आबंटित होता है लेकिन जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का क्या हश्र होता है महेश और उसका परिवार इसका ताजा उदाहरण है जिलामुख्यालय से महज 35 किलोमीटर दूर रहने वाला यह परिवार खुद से जिला अस्पताल इस लिए नहीं आ पाया क्योंकि इनके पास कोई साधन नहीं है ।

ग्वाल सिंह शोरी
अध्यक्ष भुंजिया विकास प्राधिकरण

महेश के मामले को लेकर गरियाबंद कलेक्टर और सहायक आयुक्त से मौखिक चर्चा हुई थी तो उन्होंने आश्वासन दिया था कि हम महेश की मदद करेंगे । मगर पुराने आयुक्त का ट्रांसफर होने के बाद जो नए आयुक्त आए है उन्हे हमारे समाज के बारे में ज्यादा मालूम नही । मैं इस मामले को लेकर अपने लेटर पैड में लिखकर इसके इलाज के लिए जल्द अनुशंसा करूंगा।

डाक्टर हरीश चौहान
जिला अस्पताल गरियाबंद

महेश को सबसे पहले जिला अस्पताल लाकर मेंटल डिपार्ट मेंट में उसकी जांच कराना पड़ेगा ,उसे क्या क्या समस्या है यह देखने के बाद बिलासपुर सेंद्री मेंटल हैस्पिटल भी रेफर कर सकते है या यह पर रख कर भी उसका इलाज कर सकते है ।

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