Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – सरकार को ‘सुप्रीम’ फटकार

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से - सरकार को 'सुप्रीम' फटकार

– सुभाष मिश्र

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में महिलाओं के आरक्षण मुद्दे पर सुनवाई की। इस दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए अदालत ने कहा कि वह भाजपा शासित राज्यों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है। शीर्ष अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए नागालैंड में महिलाओं को आरक्षण देने में विफल रहने पर सरकार से सवाल किया। पूछा कि राज्य में महिलाओं के लिए लिए आरक्षण क्यों लागू नहीं किया गया?
इसी तरह पिछले कुछ सालों से जिल तरह गैरभाजपाई राज्यों में आईटी और ईडी की कार्रवाई लगातार हो रही है, उसको लेकर भी अक्सर सियासी बयान आता है कि केन्द्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है, कहीं न कहीं आम लोगों के मन में भी ये सवाल उठता है कि क्या भ्रष्टाचार सिर्फ गैर भाजपाई राज्यों में है बाकी राज्य में ऑल इस वेल की स्थिति है।
अक्सर चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्री भाजपा को इसलिए जीताने की अपील करते हैं क्योंकि भाजपा की जीत हुई तो डबल इंजन की सरकार काम करेगी और तेजी से विकास होगा, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी ने डबल इंजन की हवा निकाल दी है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई के दौरान बीजेपी शासित मणिपुर में हुई हिंसा का भी जिक्र किया गया।
यहां यह भी सवाल लाजिमी है कि क्या हर मामले का हल अब न्यायालयों के जरिए ही होगा। हमारी सरकारें, राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग संप्रदाय, समुदाय के लोग, समाज के लोग क्या अपने स्तर पर बैठता करके पंच परमेश्वर की तरह निष्पक्ष फैसला नहीं कर सकते। हम देख रहे हैं कि लगातार हर छोटे बड़े मामले में न्यायालयों की ही हस्तक्षेप करना पड़ता है। नागालैंड में महिला आरक्षण के संबंध में जस्टिस कौल ने पूछा कि क्या महिलाओं के लिए आरक्षण के खिलाफ कोई प्रावधान है? महिलाओं की भागीदारी का विरोध क्यों जबकि जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाएं समान रूप से शामिल हैं। इस मामले में अदालत ने 26 सितंबर तक का समय दिया है।
एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकारते हुए कहा कि आप अपनी ड्यूटी करते नहीं और हम पर सवाल उठाते हैं। विचाराधीन कैदियों का ट्रायल तेज करने के बजाय लंबित मामलों के लिए न्यायिक व्यवस्था की आलोचना पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने सख्त लहजे में कहा कि सरकार अपनी ड्यूटी तो पूरी कर नहीं रही लेकिन अदालती कार्यवाही में वक्त लगने और न्याय में देरी की बात कर कोर्ट पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगा केस में यूएपीए के कड़े प्रावधानों का सामना कर रहे तीन आरोपियों को जमानत देते हुए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। उसने कहा कि हथियारों के बिना प्रदर्शन करना मूल अधिकार है, कोई आतंकवादी गतिविधि नहीं। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने तीन अलग-अलग आदेशों में सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणियां की। इसके पूर्व कोरोना के समय भी केंद्र सरकार की सबसे ज्यादा फजीहत ऑक्सिजन के मुद्दे पर ही हुई थी। हाई कोर्ट में इस मुद्दे पर लंबी चली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार पर कई तरह के लांछन लगाए गए और खूब खरी-खोटी सुनवाई। दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र पर मौतों के बीच बेफिक्र रहने, आंखें बंद किए रहने जैसे आरोप लगाए। कोर्ट ने गुस्से में यहां तक कह दिया कि ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा बनने वालों को वह टांग देगा। इसके पहले वैक्सीन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी गुस्से का इजहार कर चुका है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU