Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – पीएससी घपला मामला: युवाओं को मिले न्याय

Editor-in-Chief

-सुभाष मिश्र

साल 2019 से छत्तीसगढ़ में सीबीआई पर लगी रोक एक फिर बार बहाल होती नजर आ रही है। दरअसल, विष्णुदेव साय सरकार की तीसरी कैबिनेट की बैठक आज शाम मंत्रालय में आयोजित हुई। बैठक में राज्य के युवाओं के हित में राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा-2021 के संबंध में प्राप्त अनियमितताओं की शिकायतों के संबंध में विस्तृत जांच के लिए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को प्रकरण प्रेषित किए जाने का निर्णय लिया गया है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षा-2021 के अंतर्गत 12 विभागों के 170 पदों पर भर्ती के लिए चयन सूची जारी की गई है । इस पीएससी भर्ती को लेकर घपले के कई आरोप लगे हैं।
तत्कालीन पीएससी चेयरमेन 2004 बैच के आईएएस अधिकारी टामन सोनवानी पर गंभीर घपले के आरोप लगे। इस चयन सूची में कई ऐसे नाम शामिल हैं जो कि सोनवानी के करीबी रिश्तेदार हैं। राजधानी के करीब धमतरी जिले के सर्वदा रहने वाले टामन सिंह 1991 में राज्य प्रशासनिक सेवा में आए। 2008 में उन्हें आईएएस अवार्ड हुआ। आईएएस में उन्हें 2004 बैच मिला। सोनवानी पर इससे पहले भी कई आरोप लगे हैं।
सोनवानी के जिला पंचायत सीईओ रहते जांजगीर चांपा में मनरेगा में करोड़ों की गड़बड़ी हुई थी। यह गड़बड़ी भाजपा सरकार के समय हुई थी। जांच के लिए फाइल दिल्ली तक पहुंची लेकिन किसी तरह मामले को रफादफा कर दिया गया। नारायणपुर कलेक्टर बने तो वहां 8.50 लाख के खेल मैदान में 85 लाख से अधिक खर्च दिखा दिया गया था। बाद में इस मामले ने खासा तूल पकड़ा था, दशमल नहीं लगने की त्रुटि बताकर ममाले को रफा-दफा कर दिया गया। इसी तरह कांकेर कलेक्टर पद से सोनवानी का स्थानांतरण हुआ तो एक ही रात में 9 करोड़ से अधिक केंद्रीय सहायता मद की राशि को विभिन्न विभागों को बांट दिया। कलेक्टर के रूप में चार्ज लेते रानू साहू से सभी आबंटन रद्द कर दिया था। बिना कार्ययोजना तैयार किए सबसे अधिक कृषि विभाग को तीन करोड़ से अधिक की राशि जारी कर दी गई थी। इस तरह कई विवादों से सोनवानी का नाता रहा है। जब वे सीजी पीएससी चेयरमेन बने तो वहां भी बड़े विवाद से उनका नाम जुड़ गया।
पीएससी की भर्ती में भाई-भतीजावाद के साथ ही कांग्रेस के नजदीकी लोगों के चयन पर कई सवाल उठाए गए थे। हाइकोर्ट ने वर्तमान में 13 अलग-अलग प्रकरणों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। इस मामले में पूर्व भाजपा मंत्री व वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की है। भाजपा ने इस पूरे मामले को विधानसभा चुनाव के दौरान जमकर उठाया था। इस मामले को प्रदेश के युवाओं के साथ धोखा करार दिया था और राज्य में सरकार बनने पर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की बात कही थी। अब साय सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की पहल कर दी है जबकि साल 2019 में भूपेश बघेल ने बिना अनुमति के किसी भी मामले में सीबीआई जांच पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा कैबिनेट में 21 क्विंटल धान खरीदी और अंत्योदय योजना और राशनकार्डधारियों को नि:शुल्क खाद्यान्न देने के संबंध में फैसला हुआ है। इधर कांग्रेस ने बैठक में लिए गए फैसलों को लेकर निराशा जताते हुए सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने पीएससी घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के संबंध में कहा कि क्या छत्तीसगढ़ पुलिस पर भरोसा नहीं है, उन्होंने कहा

कि सिर्फ सीबीआई जांच का हौवा खड़ा करना चाहते हैं, राजनीतिक प्रोपेगेंडा है. पीएससी की परीक्षा हर साल लाखों युवा करते हैं उसमें जिस तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा वो बहुत अफसोसजनक है। साथ ही इस बड़े घपले का बचाव करना युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ है। हाल ही में आई फिल्म 12वीं फेल में इस तरह की परीक्षाओं की तैयारी के लिए किस तरह छात्र मेहनत करते हैं उसे देखा जा सकता है। ऐसे मेहनती छात्रों के भविष्य के साथ हुए किसी भी तरह के खिलवाड़ का पर्दाफाश होना ही चाहिए।

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