प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से – कानून से घटेगा बढ़ती आबादी का दबाव !

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– सुभाष मिश्र

देशभर में जनसंख्या नियंत्रण बिल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बिल में दो से अधिक बच्चे होने पर माता-पिता को सरकारी सुविधाओं से वंचित करने की सिफारिश की गई है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए गंभीर समस्या बन गई है। यही वजह है कि अब देश के कई हिस्सों में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाने की मांग उठ रही है। इसी क्रम में भाजपा सांसदों ने राज्यसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है, इस बिल में देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कठोर कानून बनाने की बात कही गई है।

इस बिल में दो या इससे अधिक बच्चों होने पर माता-पिता को सरकारी सुविधाओं से वंचित रखने की सिफारिश की गई है। इसका उल्लंघन करने पर सरकारी नौकरी से हटाने, मतदान के अधिकार से वंचित करने, चुनाव लडऩे और राजनीतिक पार्टी का गठन करने के अधिकार से वंचित करने जैसे प्रावधान लागू करने की बात कही गई है। इसके उलट एक बच्चे वाले माता-पिता को सरकारी नौकरी में वरियता जैसी सुविधाएं देनी की सिफारिश की गई है।

देश में बढ़ती जनसंख्या को लेकर बहस चल रही है। इस बीच गोरखपुर से भाजपा सांसद और एक्टर रवि किशन ने बढ़ती जनसंख्या का जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अगर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाती तो मेरे चार बच्चे नहीं होते। मैं चार बच्चों के बारे में सोचता हूं तो सॉरी फील करता हूं। खास बात यह है कि भाजपा सांसद रवि किशन ने ही शुक्रवार को लोकसभा में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए बिल पेश किया।

करीब चार दशक पहले राजनीतिक बैठकों, टीवी की चर्चाओं और चाय की दुकानों पर बातचीत का मुख्य मुद्दा बढ़ती हुई आबादी होती थी। पिछले साल के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में जनसंख्या विस्फोट शब्द का इस्तेमाल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बहस को वापस सुर्खियों में ला दिया। 1970 के दशक में आपातकाल के दौरान जबरदस्ती कराए गए परिवार नियोजन के विनाशकारी अनुभव के बाद राजनेताओं द्वारा इस शब्द का उपयोग न के बराबर किया। तबसे जनसंख्या नियंत्रण राजनैतिक रूप से अछूता रहा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बहस को नए आयाम पर पहुंचा दिया है। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को देशभक्ति के बराबर बताया। उन्होंने कहा कि समाज का वह लघु वर्ग, जो अपने परिवारों को छोटा रखता है, सम्मान का हकदार है। वह जो कर रहा है वह देशभक्ति का कार्य है।

राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में पहले से ही दो बच्चों की नीति लागू है। राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 के अनुसार सरकारी नौकरी के मामले में जिन उम्मीदवारों के दो या दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें नियुक्ति का पात्र नहीं माना जाता है। मध्य प्रदेश साल 2001 से ही दो बच्चों की नीति का पालन कर रहा है। महाराष्ट्र सिविल सेवा नियम, 2005 के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले शख्स को राज्य सरकार के किसी भी पद हेतु अयोग्य घोषित किया गया है।

जनसंख्या वृद्धि से कई तरह दुष्परिणाम सामने आते हैं उनमें वनों की कटाई प्रमुख है, वन्य जीव जानवर जंगलों में रहते हैं। वनों की कटाई का अर्थ है उनके आवास को नष्ट करना। इसके कारण कई जंगली जानवर विलुप्त हो गए हैं। इसके अलावा बढ़ता प्रदूषण, बेरोजगारी जैसी कई समस्याओं के लिए बढ़ी हुई आबादी को कारण माना जा सकता है लेकिन क्या कानून बना देने से ही जनसंख्या का दबाव घट सकता है, इस पर विचार जरूरी है।

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