Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – गौठान पर घमासान !

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – गौठान पर घमासान !

– सुभाष मिश्र
छत्तीसगढ़ सरकार की जिस गोधन योजना की चर्चा देशभर में हो रही है, इसे उदाहरण बनाकर कई राज्य सरकारों ने अपने प्रदेश में इसे लागू कराने की पहल की है उसको लेकर छत्तीसगढ़ में सियासत गर्म है। दरअसल, सोमवार को रायपुर के नजदीक गोढ़ी में गौठान का निरीक्षण करने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और संगठन महामंत्री ओपी चौधरी बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ताओं को साथ लेकर पहुंचे थे। इसकी जानकारी मिलते ही कांग्रेस कार्यकर्ता भी दलबल के साथ मौके पर पहुंच गए। इस दौरान दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच बहसबाजी शुरू हो गई। कुछ के बीच मारपीट होने की भी खबर है। भाजपा ने गौठान के नाम पर बड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। हालांकि इस संबंध में कोई सबूत पेश नहीं किया गया है। दरअसल ये योजना प्रदेशभर के गौठानों को व्यवस्थित कर उसे रीपा यानी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करने का है, इसके तहत 2 रुपए किलो गोबर खरीदी जाती है। इस गोबर से जैविक खाद के अलावा कई तरह के उपयोगी सामान बनाए जा रहे हैं और इन्हें स्वसहायता समिति बेचकर अच्छी खासी कमाई भी कर रही हैं। खास बात यह है कि इतने कम समय में बड़ी संख्या में गौठान आत्मनिर्भर हो गए हैं, यानि यहां समितियां ही गोबर और गौमूत्र खरीदी कर कर रही हैं।
गौठानों में जहां मवेशियों के लिए चारा और पानी की व्यवस्था होती है, वहीं यहां स्वसहायता समितियां जैविक खाद, दीए और अन्य सजावट के सामान बना रही हैं। इसके अलावा गोबर से पेंट भी बनाया जा रहा है इसकी भी अच्छी मांग है। गौठान में सब्जियां लगाई जा रही हैं, इस तरह कई तरह का उद्यम गौठानों में हो रहा है। गांव के मवेशी ज्यादातर समय गौठान में ही बिताते हैं। इससे किसानों की फसल भी सुरक्षित हो रही है। इस तरह इस जमीनी सोच ने एक बार में कई परिवार के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। साथ ही जिस गौवंश के नाम पर दूसरी जगहों पर राजनीति होती है उसकी महत्ता ग्रामीण जीवन में और बढ़ गई है। क्योंकि अब दूध के साथ ही गोबर और गोमूत्र भी बिक रहा है। सरकार ने अब तक करीब 500 करोड़ रुपए का भुगतान इसके लाभार्थियों को किया है। खास बात यह है कि इस योजना के तहत करीब 14 हजार महिला स्वसहायता समितियां जुड़ चुकी हैं। इस तरह बड़ी तादाद में महिलाओं को इस योजना के माध्यम से रोजगार मिल रहा है। इसके तहत अलग-अलग तरह के कार्य करने और उससे हो रही कमाई के बाद उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है। हाल ही में कर्नाटक में हुए चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र में गोधन न्याय योजना की तर्ज पर गोबर खरीदने का वादा किया गया इसे वहां की जनता ने भी सराहा है। इस योजना के बाद जैविक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है। आज दुनिया भर में रसायनिक खाद की जगह पर जैविक खेती करने पर जोर दिया जा रहा है। इससे कई तरह की विसंगतियों से बचा जा सकता है। ऐसे में गोबर खरीदी कर सरकार ने बड़े पैमाने पर जैविक खेती को प्रोत्साहित किया है। आने वाले दिनों में इसका परिणाम भी हमें देखने को मिलेगा।
लेकिन इस कामयाब योजना पर आखिर सियासत क्यों? इसे तो गहराई में जाकर समझना होगा। दरअसल, गाय पर अब तक भाजपा देशभर में आक्रमक राजनीति करती थी। इसे हिंदुत्व से जोड़कर रखा जाता था, लेकिन छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जमीन से जुड़ी इस योजना को चलाकर इस मुद्दे को भाजपा से लेकर अपने पक्ष में ला दिया है।
इधर भाजपा का कहना है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1976 पशुपालकों को इस योजना के तहत 1 लाख रुपए से ज्यादा का भुगतान हुआ है। सरकार इन लोगों का नाम सार्वजनिक करे। किसानों को सहकारी बैंकों से मिलने वाले ऋण में से इस वर्मी कम्पोस्ट खरीदने का दबाव होता है इसको लेकर किसानों में आक्रोश है। वो वर्मी कम्पोस्ट पर अभी भी भरोसा जता नहीं पा रहा है। इसलिए वो इसे लेने से बचता है लेकिन उसके कम्पोस्ट नहीं उठाने के बाद
भी ऋण से ये राशि कट जाती है। वहीं इन मुद्दों पर भाजपा ने 1300 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया है। एक तरफ गोधन न्याय योजना के बहाने छत्तीसगढ़ में गाय की अहमियत बढ़ाने का काम भूपेश बघेल की सरकार ने किया है, वहीं धर्म से जुड़ा ये मुद्दा भाजपा के हाथ से फिसलता नजर आ रहा है। इसको लेकर भाजपा की बौखलाहट अब चुनाव के पहले जमीन पर उतरती नजर आ रही है, क्योंकि प्रदेश में सीएम बघेल ने पहले ही राम का मुद्दा भाजपा से छीन रखा है। इन बातों को समझकर हम गोधन योजना पर हो रहे गदर को समझ सकते हैं।

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