Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – बदलते सियासी समीकरण

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

From the pen of Editor-in-Chief Subhash Mishra – Changing political equation

– सुभाष मिश्र

चुनाव के मुहाने पर खड़े छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का सबसे सुरक्षित गढ़ माना जा रहा था, लेकिन कुछ दिनों के भीतर जिस तरह से संगठन और सरकार में बदलाव देखने को मिल रहे हैं, उससे लगता है कि पार्टी आलाकमान के मन में कुछ और चल रहा है, तभी वो इस तरह बड़े बदलाव कर प्रदेश के साथ ही पार्टी के भीतर सियासी समीकरण उलटने की कोशिश कर रहा है। छत्तीसगढ़ में सरकार और कांग्रेस संगठन में विधानसभा चुनाव के पहले हो रहे इन बदलाव के मायने समझने होंगे। सबसे पहले संगठन महामंत्री के पद को लेकर जिस तरह से संगठन में तनातनी का माहौल दिखा उससे अंदाजा लग गया कि पार्टी में अंदरखाने काफी कुछ पक रहा है। दरअसल मरकाम ने प्रदेश संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी अरुण सिसोदिया को देने से पहले अन्य नेताओं से सलाह नहीं ली गई। इसी तरह राष्ट्रीय कार्यसमिति के समय मुख्यमंत्री की आपत्ति के बाद महामंत्री संगठन के पद से हटाए गए अमरजीत चावला को एक बार फिर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गई। इसको लेकर पार्टी के भीतर खलबली मचने के बाद प्रभारी कुमारी सैलजा ने आदेश जारी किया। जिसमें प्रदेश महामंत्री संगठन और प्रशासन की जिम्मेदारी एक बार फिर रवि घोष को सौंप दिया गया। इस पर मोहन मरकाम का कहना कि प्रदेश प्रभारी ने पत्र लिखा है, इसकी हम समीक्षा कर रहे हैं। ये बताता है कि मोहन मरकाम अपने कामकाज में हस्तक्षेप पर चुप्पी साधने वाले नहीं है। इसके बाद से ही अंदाजा लगने लगा था कि मरकाम की छुट्टी हो सकती है। बुधवार रात इस पर मुहर लग गई कि मोहन मरकाम की जगह अब बस्तर सांसद दीपक बैज पीसीसी की कमान संभालेंगे। दीपक की छबि ईमानदार और जमीनी नेता की है।
बताया जाता है कि वे राहुल गांधी के गुड बुक में हैं। मोहन मरकाम की भले ही संगठन से छुट्टी हुई लेकिन अगले दिन यानी गुरुवार को ही ये साफ हो गया कि उनकी सत्ता में जगह सुनिश्चित कर दी गई है। उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा रहा है। इसके लिए वरिष्ठ मंत्री प्रेमसाय टेकाम को इस्तीफा दिलाया गया है। इस तरह प्रदेश में अचानक कांग्रेस के भीतर की हलचल बढ़ गई है। इससे पहले अचानक टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। ये फैसला भी दिल्ली से लिया गया था और इसकी घोषणा एआईसीसी ने की थी। इसके बाद से ही कयास लगने लगे हैं कि आखिर महज चार माह के लिए उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने के पीछे क्या वजह हो सकती है। इधर मंत्रिमंडल में फेरबदल की खबर के बीच ये भी चर्चा शुरू है कि कुछ और मंत्रियों को बदले जा सकते हैं। कुछ और नए चेहरे को शामिल किया जा सकता है। विधानसभा के अंतिम सत्र के पहले इस तरह की उठापटक के पीछे क्या कोई गहरी बात छुपी है, इस ओर संकेत मिल रहे हैं। इस बीच बताया जा रहा है कि शुक्रवार को छत्तीसगढ़ को लेकर कांग्रेस की एक अहम बैठक दिल्ली में होगी। अगर इसे क्षेत्रीय समीकरण से समझने की कोशिश करें तो मोहन मरकाम बस्तर से आते हैं तो उन्हें हटाकर दीपक बैज को जिम्मेदारी सौंपी गई है, वो भी बस्तर की ही नुमाइंदगी करते हैं। दीपक बैज़ 2019 में बस्तर से कांग्रेस जीत दिलाने में कामयाब रहे थे। इधर मोहन मरकाम की कैबिनेट में इंट्री के लिए जिस मंत्री प्रेमसाय टेकाम की छुट्टी की गई है उनका कहना है कि इस्तीफा दिया नहीं लिया जाता है। इस उठापटक को बीजेपी नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने गुटबाजी बताया है, जबकि प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने मरकाम को कांग्रेस छोडऩे की नसीहत दे डाली है। इस बदलाव के बाद अब सीएम भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है। उन्होंने कहा कि मोहन मरकाम का दो कार्यकाल पूरा हो गया था। सभी राज्यों में बदलाव हो रहा है। कांग्रेस महाधिवेशन में तय हुआ था कि 50 प्रतिशत युवाओं को मौका दिया जाएगा और हमारे यहां से शुरुआत भी हो गयी है। दीपक बैज़ की उम्र अभी 42 साल है, जवान को कमान सौंपा गया है। कुछ भी चुनावी साल में लगातार हो रही इस बदलाव से कहीं न कहीं नए सियासी समीकरण बन रहे हैं। गौरतलब है कि भाजपा ने भी कुछ समय पहले इस तरह के बदलाव किए थे। जिम्मेदारियां बदले जाने से प्रदेश की राजनीति में क्या नया दिखता है ये देखने वाली बात होगी क्योंकि राजनीति में जो दिखता है उससे ज्यादा प्रभावी वो होता है जो नहीं दिखता है।

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