Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – क्या सार्वजनिक उपक्रमों के दिन बदल रहे हैं ?

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

अक्सर कांग्रेस नेता आरोप लगाते हैं कि देश के सार्वजनिक क्षेत्र को भाजपा लगातार निजी हाथों में सौंप रही है। इन सार्वजनिक क्षेत्र को स्थापित करने में पंडित नेहरू की बेहद अहम भूमिका रही है, लेकिन कालांतर में सरकारी कार्य संस्कृति के चलते बदहाली के भेंट चढ़ गए। तब इन बड़े उद्योगों को बचाने के लिए विनिवेश का भी सहारा लिया गया। बालको इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसका बड़ा शेयर तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने वेदांता समूह को बेचा था। आज प्रधानमंत्री मोदी ने आरोपों को खारिज करते हुए संसद में कहा कि 2014 में देश में 234 सार्वजनिक उपक्रम थे, लेकिन आज इनकी संख्या 254 है। उन्होंने कहा कि सावर्जनिक क्षेत्र की कंपनियां रिकॉर्ड रिटर्न दे रही हैं और इन पर निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है। बीएसई में सार्वजनिक उपक्रमों का सूचकांक बीते दो साल में दोगुना हो गया है। उल्लेखनीय है कि बीएसई पीएसयू सूचकांक में पिछले दो साल में लगभग 106 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का आरोप लगाने वाले पहले वह यह बताएं कि एमटीएनएल, बीएसएनएल, एयर इंडिया को किसने बर्बाद किया था। उन्होंने कहा कि एलआईसी को लेकर भी अफवाह फैलाई गई, लेकिन एलआईसी का शेयर आज रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च 2019 तक देश की 70 सरकारी कंपनियां घाटे में थी और उनका कुल घाटा 31,000 करोड़ रुपये से अधिक था। सबसे ज्यादा घाटे वाली कंपनियों में बीएसएनएल, एयर इंडिया और एमटीएनएल शामिल हैं। बीएसएनएल का घाटा 14,904 करोड़ रुपये, एयर इंडिया का 8474 करोड़ रुपये और एमटीएनएल का घाटा 3390 करोड़ रुपये का था। इसके अलावा भी कई कंपनियां ऐसी हैं जो सैकड़ों करोड़ के कर्ज में डूबी हुई थी।
देश में सबसे ज्यादा घाटे वाली सरकारी कंपनियों की सूची में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) पहले स्थान पर है। बिजनस टुडे के मुताबिक संचार एवं आईटी मंत्रालय के तहत इस मिनीरत्न कंपनी को वित्त वर्ष 2017-18 में 8738.2 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। सरकारी कंपनियों को उस साल हुए कुल घाटे में बीएसएनएल की हिस्सेदारी 25.57 फीसदी थी। इससे पहले 2016-17 में कंपनी का घाटा 4793.2 करोड़ रुपये और 2015-16 में 4859.16 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
वित्त वर्ष 2017-18 में इस सरकारी एयरलाइन कंपनी को 5225.4 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जो उस साल सरकारी कंपनियों के कुल घाटे का 17.07 फीसदी था। इससे पहले 2016-17 में कंपनी को 4136.2 करोड़ रुपये और 2015-16 में 3835.22 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इस कंपनी को पटरी पर लाने के लिए सरकार इसे लगातार पैकेज दे रही है लेकिन अब उसने इसे बेचने की तैयारी कर ली है। आंकड़े बयां कर रहे हैं कि इन कंपनियों को बड़ा घटा तब लगा जब देश में मोदी सरकार बन चुकी थी। हालांकि इनको इस हालात में पहुंचाने में पूर्व में सरकारों के कामकाज, कमीशनखोरी में लिप्त मशीनरी, समय के साथ अपग्रेड नहीं हो पाने जैसे कई समस्याएं रहीं। जिसके कारण ये कंपनियां लगातार घाटे की मार झेलती आई है। एयर इंडिया तो इस घाटे की बोझ के चलते बिक चुका है। अब इसे एक बार फिर टाटा समूह द्वारा संचालित किया जा रहा है। मोदी सरकार के कार्यकाल में अब तक कई कंपनियों का बड़ा हिस्सा बेचा गया है। कई के निजीकरण को सैद्धांतिक सहमति बनी है।
हालांकि प्रधानमंत्री संसद में दावा करते हैं कांग्रेस के 10 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी। दूसरी ओर हमारे 10 वर्षों में भारत शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहा है। हमारे 10 साल बड़े और निर्णायक फैसलों के लिए याद रखे जाएंगे। प्रधानमंत्री जिस विश्वास के साथ सदन में सार्वजनिक उपक्रमों के बेहतर दिन लौटाने का दावा कर रहे हैं ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। अगर सार्वजनिक क्षेत्र मजबूत होते हैं कर्ज के बोझ से बाहर निकल आते हैं तो देश वास्तव में मजबूत होगा। इसके लिए बीमार उपक्रमों को आधुनिक करना, सिस्टम में अनुशासन लाना ताकि बेहतर नतीजे लिए जा सकें। दरअसल सरकार के पास निजी कंपनियों से ज्यादा फंड और संसाधन होते हैं, इसके बावजूद खराब प्रबंधन और अनुशासनहीनता के चलते कई रत्न और मिनी रत्न कंपनियों की स्थिति खराब होते गई है। ऐसे में पढ़े-लिखे वर्ग के बीच सरकार पर कांग्रेस का ये बड़े आरोप भी अपना रंग खोते नजर आ रहा है। जिस मोदी सरकार पर कांग्रेस सार्वजनिक क्षेत्र को खत्म करने का आरोप लगाते नहीं थक रही थी, उसी मुद्दे पर पलटवार करते हुए पीएम मोदी ने कहा जिस बीएसएनएल को कांग्रेस ने तबाह करके छोड़ा था, वो आज मेड इन इंडिया 4जी, 5जी की ओर आगे बढ़ रहा है और दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। एचएएल के लिए इतने भ्रम फैलाए, आज रिकॉर्ड मैन्युफैक्चरिंग और रेवेन्यू जनरेट कर रहा है। एशिया की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी एचएएल है। कहां छोड़ा था, कहां हमने पहुंचाया है। इस तरह कांग्रेस अपने आरोपों के जाल में खुद फंसती नजर आ रही है। सियासी बातों से आगे अब देखना होगा कि क्या वाकई अब सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के दिन बदल रहा है या फिर ये सब आरोप-प्रत्यारोप के लिए हैं।

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