“कैच से ट्रॉफी तक: टीम इंडिया की जीत की सबसे बड़ी पहचान बने ‘मैच जिताऊ कैच’”

अगर यकीन न हो, तो चलिए आपको ले चलते हैं उन तीन ऐतिहासिक पलों में—जहां एक कैच ने भारत को विश्व चैंपियन बनाया।

1983 का फाइनल और कपिल देव का वो ‘दौड़ता हुआ कैच’

1983—क्रिकेट की दुनिया में वो साल, जब असंभव को भारत ने संभव कर दिखाया।
वेस्टइंडीज की अपराजेय टीम के सामने भारतीय टीम ने मात्र 183 रनों का लक्ष्य रखा। सबको लगा कि मैच खत्म, लेकिन तब कप्तान कपिल देव ने इतिहास रच दिया।

विवियन रिचर्ड्स जब तेजी से रन बरसा रहे थे, तभी मदनलाल की गेंद पर उन्होंने मिडविकेट की ओर एक ऊंचा शॉट खेला।
कपिल देव ने “It’s mine! It’s mine!” चिल्लाते हुए लगभग 30 गज पीछे भागकर वह अविश्वसनीय कैच लपका।
वो कैच नहीं, बल्कि भारत की तकदीर थी—जिसने देश को पहली बार विश्व कप जिताया।
वेस्टइंडीज मात्र 140 रन पर ढेर हो गई और कपिल देव बन गए भारत के पहले वर्ल्ड कप विजेता कप्तान।

टी20 विश्वकप 2024: सूर्या का ‘सीमा रेखा वाला करिश्मा’

टीम इंडिया की फाइनल में दक्षिण अफ्रीका से भिड़ंत।
हार्दिक पांड्या की गेंद पर मिलर ने लॉन्ग ऑफ की ओर हवा में शॉट मारा—गेंद बाउंड्री पार करने ही वाली थी कि बीच में आया सूर्यकुमार यादव का स्टील जैसा हाथ।
उन्होंने गेंद को सीमा रेखा पर रोककर हवा में उछाला और फिर छलांग लगाकर वापस पकड़ लिया।
मैदान में सभी दंग रह गए—यह कैच नहीं, फाइनल की जीत की मुहर थी।
भारत ने दक्षिण अफ्रीका को मात देकर टी20 विश्वकप 2024 का खिताब जीता।

अब महिला क्रिकेट ने रचा नया इतिहास

फाइनल में दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वोलवार्ड (101) भारत की जीत के रास्ते की सबसे बड़ी दीवार थीं।
दीप्ति शर्मा की स्लोअर गेंद पर उन्होंने लॉन्ग ऑफ की ओर शॉट खेला।
वहां खड़ी अमनजोत कौर ने तीन प्रयासों में वह कैच पकड़कर भारत की जीत की नींव रखी।
और फिर इतिहास दोहराया गया—
दीप्ति की गेंद पर हरमनप्रीत कौर ने कपिल देव स्टाइल में पीछे भागते हुए एन डी क्लेर्क का कैच लपका, और भारत को दिला दिया महिला विश्वकप का खिताब।

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