Forest Range Chirmiri : वन परिक्षेत्र चिरमिरी परिसर के अंदर कटे दो आयुर्वेदिक वृक्ष करंज के आरोपी पर किसका है संरक्षण
Forest Range Chirmiri : एमसीबी वनों की सुरक्षा और वृक्षों की अवैध कटाई को रोकथाम लगाने के लिए वन विभाग सतत निगरानी रखता है लेकिन इसके विपरीत वन परिक्षेत्र चिरमिरी परिसर में कई सालों पुराने दो आयुर्वेदिक वृक्ष करंज के काट दिए गए वही जब आयुर्वेदिक वृक्ष करंज के कटे जाने को लेकर वन परीक्षेत्र अधिकारी से मीडिया बयान लेना चाहा गया तो महोदय भागते
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Forest Range Chirmiri : नजर आए आपको बता दें कि चिरमिरी वन परीक्षेत्र कार्यालय परिसर जो कि राजस्व के अधीन में आता है यदि वन परिक्षेत्र कार्यालय परिसर में किसी भी वृक्ष को काटा जाता है तो उसके लिए राजस्व अधिकारी की अनुमति आवश्यक होती है क्या वन परिक्षेत्र अधिकारी ने नियम का पालन करते हुए राजस्व अधिकारी से अनुमति लिया ऐसा क्या कारण था कि
वन परिक्षेत्र चिरमिरी कार्यालय परिसर में वर्षों पुराने आयुर्वेदिक वृक्ष करंज को काट दिया गया इसी सवाल पर जब वन मंडल अधिकारी कोरिया श्रीमती प्रभाकर खलखो से जानकारी लिया गया तो मैडम पहले तो पत्रकार पर ही भड़क गई और सीधा कहने लगी कि रेंजर आपको पैसा नहीं दिया इसीलिए आप यह सब खबर चला रहे हैं बड़ी आश्चर्य और विडंबना
की बात है कि वन विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों का इस प्रकार का बयान आखिर किस ओर इशारा करता है यह आम आदमी आसानी से समझ सकता है पत्रकार का सिर्फ एक ही प्रश्न था की वन परिक्षेत्र कार्यालय चिरमिरी के परिसर में आयुर्वेदिक वृक्ष करंज को किसकी अनुमति से और किस कारण काटा गया इस पर वन मंडल अधिकारी कोई बयान
नहीं दी वही कहीं ना कहीं वन परिक्षेत्र अधिकारी के ऊपर वन मंडल अधिकारी का आशीर्वाद का स्वरूप दिखाई दे रहा है वही इसकी शिकायत को लेकर शासन में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों तक लिखित रूप में की गई है अब देखने वाली बात होगी कि चिरमिरी वन परिक्षेत्र कार्यालय में लगे वर्षों पुराने हरे-भरे करंज के आयुर्वेदिक वृक्ष को किसकी अनुमति
से और क्यों काटा गया यह तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा सबसे बड़ी विडंबना की बात यह है कि लगातार समाचार पत्र के सुर्खियों में बने रहने के बावजूद भी अभी तक वन परिक्षेत्र कार्यालय चिरमिरी के परिसर में दो आयुर्वेदिक करंज वृक्षों को किसकी अनुमति से और क्यों काटा गया इसकी जांच अभी तक नहीं हो पाई जाहिर सी बात है कि जिस प्रकार
से दोनों वृक्षों को काटा गया और जब पत्रकार के द्वारा इसकी शिकायत डीएफओ से की गई और उनके द्वारा दिए गए जवाब बेहद शर्मनाक रहे इसके बावजूद भी लगातार खबरें प्रकाशन होने के बाद भी यदि आरोपी पर कार्यवाही नहीं हुई इससे साफ जाहिर होता है
कि कहीं ना कहीं उच्च अधिकारियों का संरक्षण मिला हुआ है हालांकि पत्रकारिता के अंतिम चरण तक जब तक कि न्याय के रास्ते नहीं दिख जाते तब तक ये समाचार प्रकाशन में बने रहेंगे