अभिभावक विद्यालय में जीवन विद्या शिविर एवं परिपोषक पालकत्व पर पांच दिवसीय शिविर संपन्न

शिविर में चेतना विकास मूल्य शिक्षा के प्रणेता अग्रहार नागराज द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत — “अस्तित्व सह-अस्तित्व है” पर विस्तार से चर्चा की गई। वक्ताओं ने बताया कि सत्ता में संपृक्त प्रकृति में पदार्थावस्था, प्राणावस्था और जीवावस्था तीनों ही निश्चित आचरण के साथ हैं। उसी प्रकार ज्ञानावस्था की इकाई मानव भी संस्कार और ज्ञान से परिपूर्ण होकर निश्चित आचरण के साथ जीवन जी सकता है।

कार्यक्रम में बताया गया कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत सर्वांगीण विकास के लिए मानवीय मूल्यों की शिक्षा आवश्यक है। मानवीय आचरण के लिए 30 मूल्यों, चरित्र, नैतिकता तथा मन, तन और धन के सदुपयोग व सुरक्षा पर बल दिया गया।

परिपोषक पालकत्व सत्र में पोषण, संरक्षण, संवेदनशीलता और संवाद की अनिवार्यता पर विशेष रूप से चर्चा की गई।

पांच दिवसीय शिविर में लगभग 15 शिक्षक, विद्यार्थी और अभिभावक शामिल हुए। नर्मदा ग्राम से श्री प्रभुराम गंगबेर सपरिवार विशेष रूप से उपस्थित रहे। प्रतिभागियों में विजयलक्ष्मी कुम्भकार, टिकेश्वरी कुम्भकार, रीना कुम्भकार, लोकेश यादव, धनेश साहू परिवार, शिव कुर्रे, हर्षा साहू, हेमलाल धीवर, डोमेश, समृद्धि सहित अन्य परिजन शामिल रहे।

शिविर के दौरान मानव जीवन का लक्ष्य, सुख की परिभाषा, अस्तित्व सह-अस्तित्व की अवधारणा, संबंधों के मूल्य, भाषा का विकास एवं परिपोषक पालकत्व के तत्वों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।

प्रतिभागियों ने शिविर को अत्यंत उपयोगी एवं प्रेरणादायक बताया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने इस तरह के ज्ञानवर्धक शिविरों को नियमित रूप से आयोजित किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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