छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सरकारी काम में निविदा के नाम पर बड़ा खेल करने की तैयारी चल रही है. इस बार महिलाओं के आयोजन के नाम पर बड़े अधिकारी सरकार को लंबा चूना लगाने की फिराक में हैं. ये शातिर अधिकारी एक तीर से कई शिकार करने की प्लानिंग भी कर चुके है. एक ओर महिलाओं के लिए आयोजन कर सरकार को खुश करने की तैयारी है तो दूसरी ओर अपने चहेते कंपनी को निविदा दिलाकर लाखों रुपए अपनी जेब में करने का प्लान तैयार कर लिया है.
छत्तीसगढ़ में तीजा का पर्व गहरी आस्था से जुड़ा है. धर्म और आस्था के साथ साथ यह पर्व छत्तीसगढ़ की अस्मिता से भी जुड़ा है. पर बड़े पदों पर बैठे कई अधिकारी है जिनको पैसों के आगे किसी की आस्था या धर्म दिखाई नही देता. ऐसा हम इसलिए कह हैं कि हमें कुछ ऐसे दस्तावेज मिलें है जिनको देख कर यह स्पष्ट हो जाता है कि ये अधिकारी किसी बड़े खेल की तैयारी में हैं.

खबर है कि सरकार तीजा पर्व मनाने वाली है. यह आयोजन वृहत स्तर पर किये जाने की भी चर्चा है. इसको लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग ने निविदा भी जारी किया था. लेकिन इस निविदा की कुछ शर्तें ऐसी है कि इनको पूरा करना वर्तमान में असंभव है. इसको लेकर एक इवेंट कंपनी ने महिला एवं बाल विकास अधिकारी को आवेदन देकर आपत्ति भी जताई.
आपत्ति के अनुसार
- वित्तीय वर्ष 2024-25 के टर्नओवर की अनिवार्यताः आपकी निविदा में (परिशिष्ट 1, बिंदु क्रमांक 5 एवं 6 यह उल्लेख किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 15 करोड़ का टर्नओवर आवश्यक है। परंतु आयकर अधिनियम के अनुसार, इस वर्ष की बैलैस शीट, लाभ-हानि विवरण एवं ITR का ऑडिट कार्य सितंबर 2025 तक ही पूरा किया जा सकेगा। अतः वर्तमान समय में FY 2024-25 के दस्तावेज़ मांगना अव्यवहारिक एवं अमान्य है।
- टर्नओवर मापदंड की स्पष्टताः आपने पिछले तीन वर्षों का टर्नओवर ₹10 करोड़ और FY 2024-25 के लिए ₹15 करोड़ निर्धारित किया है। कृपया यह स्पष्ट करें कि टैंट हाउस अथवा इवेंट कार्यों के लिए यह कतै किस नियम या सरकारी दिशा-निर्देश के अंतर्गत रखी गई है। हमने अब तक जिन भी विभागों में सरकारी निविदाएं भरी हैं, उनमें पिछले 3 या 5 वर्षों का औसत टर्नओवर ₹10 से 12 करोड़ के बीच माँगा गया है, न कि किसी एक वित्तीय वर्ष का विशिष्ट टर्नओवर।
- सुझावः हम निवेदन करते हैं कि कृपया वित्तीय वर्ष 2024-25 के ₹15 करोड़ टर्नओवर की शर्त को हटाकर, मानक प्रक्रिया के अनुसार, पिछले तीन वर्षों का औसत टर्नओवर निर्धारित करें। इससे सभी पात्र निविदादाताओं को समान अवसर प्राप्त होगा और प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनेगी।
ऐसा नही है कि छत्तीसगढ़ में सरकारी निविदा के नाम पर बंदरबाट पहली बार हो रहा है. सरकार बदलती है पर अधिकारी वहीं रहते हैं. जो अपने चहेते कंपनियों को निविदा दिला कर खुद भी लाखों रुपए कमा लेते है.

कांग्रेस शासनकाल में मजदूर दिवस पर बोरे बासी खिलाने का मामला अभी गर्म है. जांच में पाया गया कि श्रम विभाग द्वारा एक इवेंट कंपनी को बिना टेंडर के ही लाखों का काम दे दिया था वो भी एक नही दो बार. सरकार बदली तो मामला विधानसभा में उठा और विधानसभा में घोषणा हुई कि विधायकों की समिति इस मामले का जांच करेगी.
ठीक इसी तरह का खेल महिला एवं बाल विकास विभाग भी करने को तैयार है. विभाग की ओर से निविदा की ऐसी शर्त रखी गई जिसको वर्तमान में पूरा करना असंभव है. इससे यह स्पष्ट जाहिर है कि सम्बंधित अधिकारी अपने निजी फायदे के लिए अपने परिचित को यह निविदा देने को तैयार है.
अब देखना यह होगा कि क्या ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर विष्णु के सुशासन का चक्र चल पाएगा.