श्रीमद् भागवत कथा का समापन… पंडित युवराज पांडेय की विदाई में भर आई ग्रामीणो की आँखे

भागवताचार्य ने पहाड पर विराजमान रानी माई के दर्शन के बाद सभी ग्रामीणो को सुख समृद्धि काआशीर्वाद प्रदान कर ग्राम से विदाई और भागवत के संदेश को स्वयं के जीवन में धारण करने एवं जन जन तक पहुँचाने की अपील की। अंतिम दिन कथा के बाद समिति और ग्रामीणों के सहयोग से विशाल महा भंडारे का आयोजन हुआ।

अंतिम दिन कथा में भागवताचार्य ने कामदेव, भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न सेन, सत्यभामा श्रवाणात्तक मणि, कृष्ण सुदामा मिलन कथा, कृष्ण मणि, सत्रडजीत, युधिष्ठीर का राजसु यज्ञ कराने, महाभारत कराने के पीछे कारण, की कथाओं का वर्णन किया। गंधारी के द्वारा भगवान कृष्ण को दिये गये श्राप से लेकर यदुवंश के विनाश की घटना को सुनाया, और धर्म की स्थापना के साथ ही इस संसार से भगवान कृष्ण भी स्वर्गलोक की चले गये।

बढी कथा के दौरान भागवताचार्य के मधुर संगीतमय भजन ने सभी भवितजनो को नृत्य करने के लिए उत्साहित किया। 07 दिनों तक चले इस श्रीमद् भागवत कथा से, ग्राम ऑवरी सहित आसपास के ग्रामो में भवितमय वातावरण की स्थापना हुई। और आयोजन ग्रामीणो के सहयोग और आयोजक समिति नवसृजन समिति के अथक प्रयास से सफल रहा। कथा के समापन के बाद भंडारे का आयोजन हुआ और भागवताचार्य की विदाई ग्रामीणो के द्वारा की गई।

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