शासन की नीतियों से नाराज सहकारी समितियों के कर्मचारी 12 नवंबर से करेंगे अनिश्चितकालीन आंदोलन…


महासंघ ने बताया कि शासन की नीतियों के कारण विगत दो वर्षों 2023-24 एवं 2024-25 में समितियों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी लिखित आदेश के अनुसार 28 फरवरी के बाद सुखत आने पर उसकी भरपाई नहीं की जा रही है। साथ ही, बीते वर्षों में धान परिवहन कार्य समय पर पूरा न होने से प्रदेश की 2058 समितियों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है।

नए ऑपरेट संघ ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले 18 वर्षों से समितियों में कार्यरत कम्प्यूटर आपरेटरों को हटाकर, अब शासन द्वारा 2739 उपार्जन केन्द्रों पर प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नए ऑपरेटरों की भर्ती की जा रही है, जो अन्यायपूर्ण है। इसके विरोध में प्रदेशभर के समिति कर्मचारी आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। संघ ने कहा कि शासन द्वारा अब उपार्जन केंद्र प्रभारियों के स्थान पर अनुविभागीय अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है

जबकि धान खरीदी से संबंधित कार्य जैसे हमाली व्यवस्था, धान तौल, सिलाई-छल्ली, स्टैफिंग, धान की सुरक्षा, सुखत की जिम्मेदारी, परिवहन और अंतिम उठाव तक की जिम्मेदारी समिति प्रबंधक एवं कर्मचारियों की होती है। इस स्थिति को स्पष्ट करने हेतु शासन से स्पष्ट आदेश जारी करने की मांग की गई है। आंदोलन की रूपरेखा महासंघ ने आंदोलन की चरणबद्ध रूपरेखा घोषित की है.

24 अक्टूबर 2025 शुक्रवार प्रदेश के 33 जिलों में जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर जिलाधीशों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। 28 अक्टूबर 2025 मंगलवार तुता, रायपुर में धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री एवं संबंधित विभागों को ज्ञापन सौंपा जाएगा। 3 नवंबर 2025 सोमवार।प्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालयों में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन आरंभ किया जाएगा।

12 नवंबर 2025 से : तुता रायपुर में अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू होगा। जिसमें प्रदेश के लगभग 13,000 समिति कर्मचारी एवं 2,739 कम्प्यूटर ऑपरेटर संयुक्त रूप से भाग लेंगे। मुंगेली जिले की 66 समितियों एवं 105 उपार्जन केंद्रों के प्रभारी, कर्मचारी एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेंगे।

जिला सहकारी समिति कर्मचारी संघ, जिला मुंगेली के अध्यक्ष भोलाराम यादव ने बताया कि हमारी मांगें लंबे समय से लंबित हैं। शासन द्वारा यदि जल्द समाधान नहीं किया गया तो प्रदेशभर में सहकारिता कार्य ठप हो सकता है

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