चुनाव प्रक्रिया सुविधा या समस्या

चुनाव प्रक्रिया सुविधा या समस्या
0 चुनाव प्रक्रिया पर किसी का कोई चिंतन नहीं
0 चुनाव संपन्न कराने वाले की जुबानी चुनाव की कहानी

जनधारा समाचार
रायपुर। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने बहुत से नवाचार कर मतदाताओं के लिए बहुत सी सुविधाएं दी, किंतु चुनाव कार्य में लगे अमले को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मध्य प्रदेश कांगे्रस कमेटी ने तो बकायदा शासकीय कर्मचारियों की सूची तैयार करने का फरमान जारी कर दिया। जिन्होंने भेदभाव पूर्ण आचरण कर भाजपा के लिए काम किया है। इससे इतर हम बात कर रहे हैं उन लोगों की जो चाहते हैं कि चुनावी प्रक्रिया में कागजी कार्यवाही कम की जाए। विधानसभा चुनाव में इस बार कई सुविधाएं चुनाव आयोग की ओर से दी गईं, लेकिन इसके बाद भी मतदान करने वाले और कराने वालों की कुछ शिकायतें सुनने में आई हैं। 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को घर बैठे मतदान करने की सुविधा मिली। राज्य गठन के बाद विधानसभा चुनाव में पहली बार यह नियम लागू हुआ। देश के अन्य राज्यों में पिछले कुछ चुनावों में यह नियम लागू किया गया है। साथ ही 40 प्रतिशत से अधिक विकलांगता पर भी उन्हें घर बैठे मतदान करने की सुविधा मिली। इसके लिए उन्हें फार्म-20 भरना पड़ा। भारत चुनाव आयोग ने सी-विजिल ऐप की जानकारी दी। जिसके जरिए नकदी, शराब, ड्रग्स आदि के आदान प्रदान की लोकेशन इस ऐप पर दी गई। महिलाओं के लिए पिंक बूथ की सुविधा मिली। बूथ में सिक्योरिटी से लेकर मतदाता कर्मचारी सिर्फ महिलाएं तैनात की गई।
मतदान कराने वाले कर्मचारियों ने बताया कि पोलिंग बूथ में अधिकतम 800 मतदाता रखने चाहिए। कई बूथ में 1400 या 1500 मतदाता थे, वहां शाम 6.30 बजे तक मतदान हुआ। मतदान दल को नाश्ता करने तक का समय नही मिला। मतदान का समय 8 से 5 बजे तक है एक मतदाता को कम से कम 3 मिनट लगता है। जहां 16 से ज्यादा कैंडिडेट होते हैं वहां 2 बैलट मशीन मिलती हैं। 1 बैलट यूनिट में नोटा समेत 16 कैंडिडेट होते हैं। मतदान शुरू होने के पहले मिनिमम 50 मॉक पोल करवाना है फिर वीवीपैट से मॉक पोल की पर्ची को निकाल कर उसके पिच मॉक पोल की सील लगाकर पीठासीन को साइन करना होता है, फिर उसको काले लिफाफे में डालकर उसको सील कर चपड़ा लगाओ और उसपर पीठासीन और एजेंट के साइन लो। मतदान शुरू होने पर मतदान अधिकारी 1 मतदाता सूची की चिन्हित प्रति में पुरुष मतदाता और महिला मतदाता के नाम को काटेगा या क्रास लगेगा। फिर 2 नंबर मतदाता रजिस्टर में मतदाता का सीरियल नंबर और उसकी आईडी को लिख कर उसमें उनका साइन या अंगूठा का निशान लेगा। उसको पर्ची जारी करेगा, अमिट इंक लगाएगा। फिर वो 3 नंबर के पास जाकर पर्ची देगा और 3 नंबर बैलट जारी करेगा। मतदाता फिर वोट करेगा और वीवीपैट की स्लिप को देखेगा।
मतदान शुरू होने के पहले कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट को सील करना भी होता है। अगर सब कुछ ठीक रहा यानी मशीन खराब नहीं हुई तो शाम 5 बजे मतदान खत्म यदि मतदान केंद्र में 5 बजे से पहले कोई मतदाता की लाइन लगी हो तो उनको पर्ची बॉटनी होती है। इस कारण कई बार 6 या 7 बजे तक मतदान होता है। मतदान के बाद कंट्रोल यूनिट के कुल वोट एजेंट की दिखाओ और रजिस्टर से मिलान भी दिखाओ। उसके बाद जितने एजेंट हर पार्टी के उनको मतपत्र लेखा के एक कॉपी दो। फिर शुरू होता होता है लिफाफा के अनुसार उनमें प्रपत्र की जानकारी भरकर लिफाफा भरना। हर लिफाफे के लिए 1 मास्टर लिफाफा करीब 6 मास्टर लिफाफे होते हैं। जैसे टेंडर वोट का लिफाफा, अंधे या नि:शक्त की घोषणा का लिफाफा, मतदाता रजिस्टर का लिफाफा, इंक रखने का लिफाफा, मतदान शुरु होने और समापत होने के समय पीठासीन की घोषणा का लिफाफा, मतदाता पर्ची जो यूज हुई उसका लिफाफा, जो पर्ची यूज नहीं हुई उसका लिफाफा, पुलिस अधिकारी के लिए लिफाफा (अगर को घटना हुई तो नही तो निरंक लिखना है) और भी लिफाफे होते है। 20 से ज्यादा लिफाफे और प्रपत्र होते हैं। इन सब लिफाफों को 2बार चपड़ा करो। वीवीपैट की बैटरी निकाल के उसको अलग से पैक करो। वो पेटी के साथ अलग से जमा करो। पीठासीन की डायरी का लिफाफा, उसकी सील का लिफाफा, टेंडेंर वोट के लिए घूमते तीर वाला लिफाफा। ये सब करने में न्यूनतम 2.30 घन्टे लग जाते जाते है उस पर भी सेक्टर अधिकारी और एरिया का थानेदार जल्दी करने को बोलता है। थानेदार चाहता है मतदान दल उसके एरिया से जल्द से जल्द निकले। सेक्टर अधिकारी चाहता कि जमा स्थान में पहुंच जाओ आधी अधूरी तैयारी के साथ। बाकी वहां करते रहना जबकि जमा स्थान (सेजबहार) में इतनी भीड़ होती है, लगता आज शहर सोया ही नहीं है। एक बहुत बड़ा मेला जहां दूर-दूर तक सिर्फ नरमुंड और लाऊडस्पीकर्स में होती घोषणा और हर व्यक्ति हैरान परेशान दिखा। मतदान सामग्री जमा लेने वाले भी शासकीय औपचारिकताओं में उलझे रहे जो लिफ़ाफ़ा सील बन्द है, उनको खोल के दिखाने बोलते हैं जो खुले ले गए उसको बंद करने 1 घंटे से ज्यादा समय लेते हंै जमा लेने में। फिर इसके बाद सेक्टर ऑफिसर के पास जाओ रिलीविंग लेने वो जब तक न बोले आप घर नहीं जा सकते।
स्वच्छ भारत की बात करने वाले इस देश में मतदान प्रक्रिया में लगे स्टाफ को वो पुरुष हो तो खुले में नहा भी ले और कपड़े भी बदल लें। महिलाओं को तो बड़ी विकट स्थिति का सामना करना पड़ता है। इन बेसिक जरूरत के लिए। सबको चिंता इस बात की रहती चुनाव में कौन जीतेगा या हारेगा किंतु चुनाव प्रक्रिया पर किसी का कोई चिंतन नहीं है।
मध्य प्रदेश में लोकतंत्र के महापर्व में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सरकारी कर्मियों के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव खास रहा। वोटिंग कराने के बाद दल वापस लौट रहा था, तभी उनके खातों में चुनावी ड्यूटी का भुगतान शुरू हो गया। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि निर्वाचन में लगे कर्मियों को उसी दिन भुगतान किया गया।
मतदान कार्य में लगे शासकीय सेवकों को ट्रेनिंग के लिए नया रायपुर से लगभग 25 से 30 किमी दूर रविशंकर यूनिवर्सिटी या एनआईटी बुलाया गया। अब अप्रैल मई की गर्मी में लोकसभा चुनाव के लिए ड्यूटी लगेगी। कहीं गर्मी की कोई व्यवस्था नहीं। पंखा मिला तो ठीक कूलर को तो भूल ही जाओ। लोकसभा में तो मतदान का समय भी 1 घंटे बढ़ जाता है। सुबह 7 से 5। अब अगर 7 बजे से मतदान शुरू होना है तो उसके डेढ़ घंटे पहले मॉक पोल करना पडता है, यानी 5.30 बजे से। अधिकांश मतदान दल किसी परेशानी से बचने के लिए और आधा घंटा पहले यानी 5 बजे मॉक पोल शुरू करवा देते हैं।

क्या मॉक पोल की प्रक्रिया
माक पोल के बाद कंट्रोल यूनिट को फिर खाली करना होता है अर्थात सीआरसी यानी मॉक पोल के दौरान डाले गए वोट के बाद मशीन में सी क्लोज बटन दबाओ। फिर एजेंट को दिखाओ की मशीन कुल 50 माक पोल वोट दिखा रही है। फिर आर-रिजल्ट बटन दबा के दिखाओ कि मॉक पॉल में प्रत्येक कैंडिडेट को जितने वोट डाले गए उतना ही मशीन भी दिखा रही है। इसके सी क्लीयर बटन दबा कर सभी मॉक पोल के वोट को डिलीट करो और अंत में एजेंट को फिर दिखाओ कि मशीन में अब कोई वोट नही है यानी शुन्य हो चुका है। सभी कैंडिडेट को दिया वोट।
अब मशीन के पावर को पीछे से ऑफ करो और वीवीपैट से माक पोल स्लिप निकालकर उसका भी मिलान करो कि जितने कैंडिडेट को वोट दिया उतनी स्लिप ही निकली उसके नाम की। फिर लिफ़ाफ़ा में सीलबंद करो। इस तरह मॉक पोल पूरा होता है।

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