रुपए में गिरावट का असर बढ़ा, विदेश में पढ़ाई और यात्रा हुई महंगी

नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपए की लगातार कमजोरी का सीधा प्रभाव विदेश में अध्ययन कर रहे छात्रों के माता-पिता पर पड़ रहा है। उन्हें बच्चों के लिए पैसे भेजने में अब पहले की तुलना में अधिक रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय यात्रा भी महंगी हो गई है, क्योंकि डॉलर और यूरो खरीदने के लिए अधिक भुगतान करना पड़ रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार यदि रुपये में गिरावट का यह दौर जारी रहा तो इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की कीमतों में भी बढ़ोतरी की आशंका है। इन वस्तुओं में प्रयुक्त कई कच्चे माल का आयात किया जाता है, ऐसे में रुपये के कमजोर होने से आयात लागत बढ़ेगी और उत्पादन खर्च भी प्रभावित होगा।

पिछले एक वर्ष में रुपये की कीमत में छह रुपये की गिरावट दर्ज की गई है। तीन दिसंबर 2024 को एक डॉलर का मूल्य 84.68 रुपये था, जो बुधवार शाम तक 90.19 रुपये पर पहुंच गया। विदेश में पढ़ाई कर रहे छात्रों के अभिभावकों ने बताया कि धन भेजना अब सात से आठ प्रतिशत तक महंगा हो चुका है। वर्तमान में 7.5 लाख से अधिक भारतीय छात्र विदेशों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिन्हें नियमित रूप से भारत से धन भेजा जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में भी बढ़ी हुई आयात लागत का प्रभाव दिखने लगा है। मोबाइल फोन सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में मूल्य वृद्धि की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि कंपनियां सीमित स्तर तक ही अतिरिक्त लागत वहन कर सकती हैं। रुपये की कमजोरी के कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी में भी वृद्धि हुई है।

इस बीच, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने स्पष्ट किया है कि रुपये में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर किसी बड़े प्रभाव की आशंका नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्यात और महंगाई पर इसका कोई विशेष असर नहीं दिख रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का प्रमुख कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में देरी है। उनका कहना है कि समझौता होते ही रुपये में मजबूती देखी जा सकती है। एशिया क्षेत्र में पिछले एक वर्ष में सबसे अधिक गिरावट भारतीय मुद्रा में दर्ज की गई है।

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