ग्रामीण अंचलों में शिक्षा व्यवस्था बदहाल: जर्जर स्कूल भवन और पानी में डूबी क्लासरूम से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में सरकारी स्कूलों की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। गरियाबंद और कांकेर जिले की तस्वीरें इस बात को बखूबी उजागर कर रही हैं। कहीं स्कूल भवन जर्जर और खतरनाक हो चुके हैं, तो कहीं क्लासरूम और स्टोररूम पानी में डूबे हैं। बच्चों और पालकों की सुरक्षा खतरे में है, जबकि पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।

ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए एसडीएम कार्यालय का घेराव किया और 15 दिनों के भीतर मरम्मत न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

जर्जर भवन से डर में बच्चे और पालक

गरियाबंद जिले के देवभोग ब्लॉक में स्थित दरलीपारा प्राथमिक स्कूल की स्थिति बेहद चिंताजनक है। स्कूल भवन की छत से रोजाना प्लास्टर और सीमेंट की पपड़ियां गिर रही हैं, दीवारें कमजोर हो चुकी हैं। इस वजह से बच्चों और पालकों में हादसे का डर बना हुआ है।

पालकों की शिकायत पर एसडीएम ने बीईओ को तलब किया और फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए। प्रशासन का कहना है कि भवन की मरम्मत का प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है, और बजट स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है।

पानी में डूबा स्कूल और आंगनबाड़ी

कांकेर जिले के माटवाड़ा लाल गांव में स्थित शासकीय स्कूल और आंगनबाड़ी की हालत भी चिंताजनक है। क्लासरूम और स्टोररूम पानी में भरे हुए हैं, दीवारें रिसाव कर रही हैं, और बाथरूम की दीवार बल्लियों के सहारे खड़ी है। पानी के कारण फर्श पर फिसलन बढ़ गई है, जिससे छोटे बच्चों के गिरने और चोटिल होने का खतरा है।

ग्रामीणों का कहना है कि जिला मुख्यालय के नजदीक होने के बावजूद शिक्षा व्यवस्था की सुध नहीं ली जा रही। बदहाल हालात ने लोगों की चिंता और नाराजगी बढ़ा दी है।

सवालों के घेरे में शिक्षा व्यवस्था

गरियाबंद और कांकेर की ये तस्वीरें इस बात का संकेत हैं कि ग्रामीण अंचलों में शिक्षा व्यवस्था गंभीर रूप से बदहाल हो चुकी है। बच्चों को असुरक्षित भवन में पढ़ने को मजबूर होना पड़ रहा है, वहीं पानी से भरे कक्षाओं में पढ़ाई ठप हो गई है।

ऐसे में सवाल उठता है कि प्रशासन कब तक बजट और प्रस्तावों का हवाला देकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करता रहेगा।

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