Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – अब गौशालाएं बनेंगी जैविक संजीवनी

Editor-in-Chief

– सुभाष मिश्र Editor-in-Chief

अब गौशालाएं बनेंगी जैविक संजीवनी

देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है। अब नीति आयोग ने एक रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि केंद्र सरकार गौशालाओं को पूंजी सहायता के माध्यम से मदद करे, ताकि कृषि में गाय के गोबर और गोमूत्र पर आधरित फार्मूलों का विपणन किया जा सके। इस सिफारिश में छत्तीसगढ़ सरकार का जिक्र भले नहीं आया हो, लेकिन पिछले 4 सालों में जिस तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोबर को प्रासंगिक बनाया है ऐसे में गोबर को आज विकास और मानव जीवन के लिए उपयोगी के तौर पर देखा जा रहा है। उसमें बघेल के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। नीति आयोग द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार, निजी कंपनियों और उद्यमियों के ठोस प्रयासों के जरिये गौशालाएं देश में प्राकृतिक खेती के लिए सामग्री की प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन सकती है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता वाले एक कार्यबल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को जारी करते हुए प्रोफेसर चंद ने कहा कि कृषि की स्थिरता के लिए फसल और पशुधन का एकीकरण आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘भारत में कृषि इस एकीकृत दृष्टिकोण पर आधारित थी, लेकिन हरित क्रांति के बाद हम इस संतुलन को कायम नहीं रख सके. उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी के पोषक तत्वों में असंतुलन आ गया है. कार्यबल ने महसूस किया कि गौशालाएं प्राकृतिक खेती और जैविक खेती को बढ़ावा देने में काफी मदद कर सकती हैं। इस प्रकार गोशालाओं और प्राकृतिक खेती को बढ़ाना देने के लिए पूरक निर्माण किए जा सकते हैं।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालकों से 2 रुपए किलो में गोबर और 4 रुपए लीटर गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से खास बातचीत में इस विषय़ पर चर्चा हुई तो उन्होंने संतोष जताया कि आज छत्तीसगढ़ के 5,000 गौठान आत्मनिर्भर हो गए हैं। ऐसे में भले ही देश में गाय के नाम पर कोई कितनी भी सियासत कर ले, लेकिन भूपेश बघेल की सरकार ने गाय की महत्ता को इन योजनाओं के जरिये बढ़ाया है। छत्तीसगढ़ का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण और कृषि बाहुल्य है जहां पर लोग खेती-बाड़ी और मजदूरी पर आश्रित हैं। ग्रामीण आबादी की आजीविका का मुख्य साधन, कृषि, वनोपज तथा उसके प्रसंस्करण और विपणन के इर्द-गिर्द रहा है। इतना ही नहीं शहरी क्षेत्रों में जिन लोगों ने रोजगार पाकर पलायन किया हैं उनका भी आर्थिक ढांचा उनके गांव-घर में उत्पादित होने वाले कृषि एवं वनोपज पर आधारित है। सरकार ने खेती को लाभकारी व्यवस्था बनाने के लिए नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी जैसी महत्वपूर्ण योजना लाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की ईमानदारी से कोशिश की है। गोधन न्याय योजना के जरिये ग्रामीणों से 2 रुपए किलो की दर पर गोबर खरीदी की जा रही है। ट्राइफेड के जरिये बड़े पैमाने पर लघु वनोपज की खरीद की गई है। छत्तीसगढ़ के लोगों की सीमित जरूरतें और सरकार द्वारा उठाये गये आर्थिक स्वावलंबन के सही कदमों की वजह से छत्तीसगढ़ आज देश के आर्थिक रूप से स्वावलंबी राज्यों और कम बेरोजगारी वाले राज्यों में शुमार हुआ है। छत्तीसगढ़ में रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं और बेरोजगारी की दर में कमी दर्ज की जा रही है। छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 1 प्रतिशत भी नहीं रह गई है। सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकानामी (सीएमआईई) द्वारा 1 मार्च को जारी रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2023 में राज्य में बेरोजगारी दर 0.8 प्रतिशत रही। उल्लेेखनीय है कि छत्तीसगढ़ लगातार देश के सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्य में बना हुआ है। सितम्बर 2022 में बेरोजगारी दर 0.1 प्रतिशत और अगस्त 2022 में 0.4 प्रतिशत थी। जनवरी 2023 में बेरोजगारी दर थी 0.5 प्रतिशत, वहीं देश की औसत बेरोजगारी दर 7.5 प्रतिशत है। राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना 2023 के तहत अब तक 10,624 गांव में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें 8408 गौठान बन चुके हैं और 1758 गौंठान अभी बन रहे हैं। राज्य में कुल 10 हजार 732 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 9 हजार 720 निर्मित होकर संचालित हो रहे हैं। इसका मतलब यह है कि स्वीकृत गौठानों में से 91 प्रतिशत गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। 7 प्रतिशत गौठानों का निर्माण तेजी से चल रहा हैै। गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर खरीदी के साथ-साथ 4 रुपए लीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। गौठानों में अब तक 5 लाख 37 हजार 936 रुपए में 1 लाख 34 हजार 484 लीटर गौमूत्र क्रय किया जा चुका है, जिससे महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा 51,343 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र और 21,554 लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत का उत्पादन सह विक्रय किया जा रहा है। इससे राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। राज्य के किसानों द्वारा अब तक 44,457 लीटर जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और 18,513 लीटर वृद्धिवर्धन जीवामृत क्रय किया गया है, जिससे उत्पादक समूहों को अब तक कुल 28 लाख 96 हजार 845 रुपए की आय हुई है। गौठानों में गोबर खरीदी से वर्तमान में 3 लाख 28 हजार से अधिक ग्रामीण पशुपालक किसान सीधे लाभान्वित हो रहे हैं। बीते एक साल में इस योजना के अंतर्गत लाभान्वित पशुपालक ग्रामीणों की संख्या 2.06 लाख से बढ़कर 3.28 लाख से अधिक हो गई है। लाभान्वितों की संख्या में यह वृद्धि 59 प्रतिशत है। योजना
के शुरू होने से अब तक कुल 105 लाख 63 हजार क्विंंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। इसके एवज में गोबर विक्रेताओं को 20 फरवरी तक 4.76 करोड़ रुपए के भुगतान के बाद 211 करोड़ 25 लाख रुपए की राशि प्रदान कर दी गई है। गौठानों में अब तक 18 लाख 58 हजार क्विंंटल पैरा गौमाता के चारे के लिए उपलब्ध है।
गोबर से 30, 218 लीटर प्राकृतिक पेंट उत्पादित
14,358 लीटर प्राकृतिक पेंट के विक्रय से 29.70 लाख की आय गोबर से प्राकृतिक पेंट उत्पादन की 32 इकाइयां निर्माणाधीन छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 1 प्रतिशत भी नहीं रह गई है। सेेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकानामी (सीएमआईई) द्वारा 1 मार्च को जारी रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2023 में राज्य में बेरोजगारी दर 0.8 प्रतिशत रही।

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