रात के अंधेरे में होता है अवैध परिवहन, विभाग बेखबर
सक्ती (छत्तीसगढ़)। ग्राम डूमरपारा में संचालित डोलोमाइट खदान एवं क्रेशर संचालन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी की जा रही है। बालाजी मिनरल्स एंड मेटल्स तथा पी.आई. मिनरल्स के नाम पर संचालित इन खदानों और क्रेशर में संचालन पूरी तरह से संदिग्ध है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, दोनों फर्मों का संचालन एक ही दफ्तर से किया जा रहा है, जिससे इस बात की आशंका और गहराती है कि यह सब सुनियोजित भ्रष्टाचार का हिस्सा है। जानबूझकर दो नामों से फर्म चलाकर कागजी हेरफेर और नियमों से बचने की कोशिश की जा रही है।
रात होते ही शुरू होता है अवैध डोलोमाइट परिवहन
रात के अंधेरे में इन खदानों से अवैध रूप से डोलोमाइट का परिवहन किया जाता है। यह डोलोमाइट आस-पास की विभिन्न फर्मों को बेचा जा रहा है, जिससे सरकार को राजस्व की भारी हानि हो रही है। यह सब कुछ सक्ती जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर हो रहा है, जबकि संबंधित विभाग पूरी तरह से आंख मूंदे बैठा है।
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समाचार प्रकाशित होते ही और तेज होता है भ्रष्टाचार!
चौंकाने वाली बात यह है कि जब इन मामलों की जानकारी समाचार के माध्यम से उजागर की जाती है, तब भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। बल्कि ऐसे मामलों में भ्रष्ट गतिविधियां और तेज़ हो जाती हैं।
वन विभाग की जमीन पर बिना अनुमति का प्रयोग
खदान संचालकों द्वारा वन विभाग की जमीनों पर भी अवैध रूप से डोलोमाइट का परिवहन किया जा रहा है। इसके अलावा जंगल में जगह-जगह मलबे का अवैध डंपिंग भी किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। इन सब गतिविधियों को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और राज्य शासन इस पर तत्काल संज्ञान लें। जब फर्म के मैनेजर से इन आरोपों पर सवाल किया गया तो उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया ।।गौरतलब है कि डोलोमाइट खदानों और उनके संचालन को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत भी पहले सवाल उठा चुके हैं। बावजूद इसके, प्रशासन की चुप्पी इस पूरे प्रकरण को और अधिक गंभीर बना रही है। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन नींद से जागेगा, या यह भ्रष्टाचार इसी तरह बेखौफ जारी रहेगा।