Dongargarh Rajnandgaon : वन विभाग द्वारा मजदूरों का शोषण

Dongargarh Rajnandgaon : वन विभाग द्वारा मजदूरों का शोषण

Dongargarh Rajnandgaon : वन विभाग द्वारा मजदूरों का शोषण

 

रिपोर्टर क एस ठाकुर ।

लोकेशन डोंगरगढ़ (राजनांदगांव)
Dongargarh Rajnandgaon : राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ ब्लॉक अंतर्गत ग्राम घोटियां ,कोहकट्टा में बांस कटाई में कार्यरत मजदूरों का पांच माह से लगभग 8 लाख रुपए का भुगतान लंबित है,साथ ही ग्राम घोटीया, तोतलभर्री सहित कई गांव के तेंदुपत्ता तोड़ने वाले ग्रामीणों का लगभग 3 लाख रुपए का मजदूरी भुगतान भी नही हुआ है, जिसे लेकर ग्रामीणों ने वन विभाग को

 

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Dongargarh Rajnandgaon : भी कई बार अवगत कराया परंतु अब तक कोई पहल इस ओर देखने को नहीं मिला है…. इसके बाद आज बड़ी संख्या में ग्रामीण डोंगरगढ़ भाजपा ग्रामीण मंडल के अध्यक्ष जैन मेश्राम के नेतृत्व में डोंगरगढ़ तहसील कार्यालय पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा…. वही मीडिया से चर्चा करते हुए ग्रामीणों ने बताया कि अब तक उनका मजदूरी भुगतान नहीं किया गया है,खेती का मौसम आ गया है

अब उनको पैसों की सख्त जरूरत है पर वे एक एक पैसे के लिए तरस रहे हैं….वही डोंगरगढ़ ग्रामीण भाजपा मंडल के अध्यक्ष जैन मेश्राम ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बांस कटाई और तेंदुपत्ता तोड़ाई का भुगतान ग्रामीणों को नहीं हुआ है और आगामी एक सप्ताह में इनका भुगतान नहीं किया गया तो उनके द्वारा सड़क की लड़ाई लड़ी जाएगी…. पूरे मामले में डोंगरगढ़ नायब तहसीलदार विजय साहू ने कहा कि

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घोटियाँ और तोतलभर्री गांव के ग्रामीण मजदूरों ने आज ज्ञापन दिया है जल्द ही फॉरेस्ट विभाग के एसडीओ और जिम्मेदार अधिकारियों से बात कर के इनका निराकरण किया जाएगा…।.
ग्रामीण द्वारा इस संबंध में वन विभाग के उच्च अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद वन विभाग के द्वारा जांच एवं अन्य कार्रवाई ना करना कहीं ना कहीं इस भ्रष्टाचार को लीपापोती करने का प्रयास हो

रहा है।वन विभाग में कटाई का सीजन अधिकतम 30अ तक रहता है वैसे तो कटाई का जोल लक्षय रहता है वह अधिकतम 30 अप्रैल तक पूरा करने के निर्देश रहते हैं इतने दिनों बाद मजदूरों का भुगतान नहीं होना गरीब मजदूरों का शोषण है इस प्रकार तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में अधिकतम 30 अप्रैल तक ही रहता है और इसके भुगतान भी 30 जून तक हो ही जाते हैं तेंदूपत्ता तुरई और बांस कटाई कार्य का

भुगतान अभी तक नहीं होना वन विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न लगाता है और यहां यह भी नहीं माना जा सकता कि इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को नहीं होगी इन दोनों शिकायत की विभाग की ओर से उच्चतर जांच होनी चाहिए और जो भी भुगतान के लिए जिम्मेदार दोषी है उसके विरुद्ध जल्द से जल्द अनुशासनिक कार्रवाई भी होना चाहिए

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