Donation : दान से धन की वृद्धि व शुद्धि होती है-आचार्य अनिल

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Donation : दान से बनेंगे धनवान और समृद्धिवान

Donation : भानुप्रतापपुर। स्थानीय साई मंदिर में कल मंगलवार को शिव महापुराण कथा का विश्राम दिवस रहा।

विधिविधान, मंत्रोपचार के साथ ही विराजित देवी, देवताओं का पूजन, पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक, हवनपुजन, पांच कुंडली यज्ञ हवन पुजन के बाद दोपहर से शाम तक प्रसदरूपी भंडारा का आयोजन किया गया जिसमे सैकड़ों भक्तो ने प्रसाद ग्रहण किये।

नव दिनों तक चलने वाली इस धार्मिक आयोजन में सैकड़ों भक्त शामिल होकर भक्ति के गंगा में डुबकी लगाते हुए अपने जीवन को सार्थक बनाये।

Donation : शिवपुराण कथा का विश्राम दिवस पर यज्ञ हवन पूजन भंडारा

श्री साई बाबा सेवा समिति के सदस्यों एवं जन समूह के सहयोग से 18 जुलाई से प्रारंभ हुए शिव पुराण कथा का कल मंगलवार 26 जुलाई को विश्राम हो गया।

नव दिनों तक साई मंदिर कैलाशधाम बना रहा, कथा के मध्यम से जप,तप, पूजन, कीर्तन, व धार्मिक कथा का सुंदर आयोजन आचार्य अनिल जी महाराज किया गया। व प्रसाद रूपी भंडारा का आयोजन किया गया।

शिवपुराण कथा मे प्रतिदिन अलग-अलग कथाएं सुनाई गई सोमवार आठवें दिन आचार्य अनिल महारज ने दान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक प्राणी को अपने जीवन मे दान करना चाहिए।

Donation : गौ दान, भूमि दान, कन्या दान,विद्या दान खुला दान को अति महान जन कल्याणकारी बताया गया है, इनके अलावा 11 प्रकार के दान होते है।

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दान देने से धन कभी भी कम नही होता है, बल्कि धन के वृद्धि , शुद्धि व समृद्धि होतो है एवं पूण्य की प्राप्ति जीवन सार्थक होती है। क्योंकि शिवपुराण कहता है कि जो तुम कर्म कर रहे है वही तुम्हारा साथ रहेगा।

Donation : इसलिए प्राणी को हमेशा ज्यादा से ज्यादा समय भगवान की जप ,तप ,दान करते हुए अपने जीवन ब्यतीत चाहिए। वही दान किसे देना चाहिए इस पर आचार्य जी ने कहा कि दान हमेशा योग्य एवं जरूरतमंदो किया जाना चाहिए तभी फलित होता है।

जल का दान को सर्वोपरि बताया है, देवी देवताओं में पूजन में सिंगार, व छपन प्रकार के भोग लगाएं जाते है।

जबकि भगवान भोलेनाथ में श्राद्ध भक्ति से एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से वे प्रसन्न हो जाते है, यदि आप शिव की पूजा करते है तो अन्य किसी भी देवी देवताओं का पूजन करने की आवश्यकता नही है।

वही प्राणी को कभी अभिमान नही करना चाहिए, हमेशा मंदिर जाते वक्त अभिमान को मंदिर के बाहर छोड़कर भगवान के दर्शन करना चाहिए।

शिव मंदिर में सामने के पूजाअर्चना करना चाहिए क्योंकि भगवान के सामने धर्म व पीछे अधर्म है।

भगवान शिव के 10 अवतार माने गए है,महाकाल,पारा, भोलेश्वर, सोलहशक्ति, भैरव, छिंदमस्तक,शंभु, बगुलामुखी, मार्तण्ड,भुनेश्वरी सभी रूपो का पूजन करने से अलग अलग फल की प्राप्ति होती है।

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अच्छे ब्राम्हणों को अपना गुरु बनाना चाहिए जिसको वेदमंत्र का ज्ञान हो जो आपके घर आ सके,इससे आपको फलित होगा।

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