:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- आज भी नगर में कुछ ऐसे विभागीय संस्थाएं व बैंक हैं जो निजी मकानों पर किराये में चल रहे हैं । इससे उन्हें आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है वहीं ग्राहकों को कोई बुनियादी सुविधाएं नही मिल पा रही है । नगर के मध्य पुरानी मंडी के सामने वर्षो पूर्व किसानों को सुविधाएं दिए जाने के उद्देश्य से लाखों रुपये खर्च कर कृषक विश्राम गृह का निर्माण किया गया था ।

ताकि मंडी में अपनी उपज बेचने आये किसानों को बुनियादी सुविधाओ के साथ साथ उनके रात्रि ठहरने व आराम किये जाने की सुविधा किसानों को मिल सके । पर जिस उद्देश्य को लेकर यह भवन का निर्माण किया गया था वह कभी भी पूरा नही हो सका ।
बोन्दा स्थित ग्रामीण बैंक को बैंक प्रबंधन द्वारा सरायपाली में स्थान्तरित किया गया है । अनेक जगह किराये का मकान लेकर बैंक संचालित किया जाता रहा किंतु स्थायी भवन कहीं नही मिला । कृषक विश्राम गृह में भी कुछ वर्षो तक यह बैंक संचालित हुवा । इसका उपयोग मतदान केंद्रों के साथ ही समय समय पर विभिन्न कारणों के लिए इसका उपयोग होते रहा है । किंतु देखरेख व अब उपयोग में नही आने के कारण यह पूरी तरह जीर्ण शीर्ण हो चुका है व आने वाले समय मे कभी भी गिर सकता है ।

मंडी प्रशासन इस जगह का सही उपयोग कर सकता है । इससे उसकी संपत्ति व मासिक आय में वृद्धि होगी तो वहीं भूमि अतिक्रमण का भय भी समाप्त होगा । मंडी प्रशासन को इस स्थान को पूरी तरह खाली कराकर बैंकों के लिए सर्व सुविधायुक्त दो मंजिला या चौड़ी जगह में भवन निर्माण किया जाना चाहिए । अभी वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक व जिला सहकारी केंद्रीय बैंक जो कि किसानों से सम्बंधित बैंक भी है ।
इन दोनों बैंकों के पास अपना स्वयं का कोई भवन नही है । वर्षो से दोनों बैंक निजी भवनों में किराए से चल रहे हैं । इन भवनों का किराया ही प्रतिमाह हजारों रुपये महीना पटाया जाता है । अभी तक बैंकों द्वारा सिर्फ किराया देने में ही लाखो रुपए खर्च कर दिया गया इतने में तो बैंकों की स्वयं की भूमि में बैंक बनाया जा सकता था । दुसरो को भवन व मकान निर्माण हेतु ऋण देने वाली बैंक अपने लिए स्वयं के लिए भवनों का निर्माण क्यो नहीं करती है ।
बैंक प्रबंधकों द्वारा बैंकों को भवन किराया लेते समय भवन मालिको से भारी मोटी रकम की मांग की जाती है । भारी लेनदेन के बाद ही भवनों को किराया में लिया जाता है । कुछेक भवन मालिको ने बताया कि इसके बाद भी अधिकारियों को खुश रखने के लिए महीना भी अलग से दिया जाता है ।

वर्तमान में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक व छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक को सामान्यतः किसानों का व किसान समर्थित बैंक के रूप में माना जाता है । उपज का भुगतान, सब्सिडी , ऋण , खाद आदि की जरूरतें किसानों की इन्ही बैंकों से होती है । वैसे भी यह दोनों बैंकों की कार्यप्रणाली व वातावरण ग्रामीण परिवेश में होने के कारण किसानों के लिए यह दोनों पसंदीदा बैंक बन गये हैं ।
मंडी प्रशासन को सम्बंधित दोनों बैंकों के उच्च अधिकारियों , मंत्रियों व सरकार को स्थिति से अवगत कराते हुवे इस जर्जर हो चुके भवन के स्थान पर सर्वसुविधायुक्त भवन निर्माण कर किराये में दिए जाने के सम्बंध में चर्चा करनी चाहिए ।
इससे उक्त दोनों बैंकों को स्थायी तौर पर सर्वसुविधा बैंक भवन मिलने के साथ ही कम किराये में भी भवन उपलब्ध होगा । बैको को जहां आर्थिक बचत होगी तो वही मंडी को भी प्रत्येक माह की निश्चित आय होते रहेगी । इस होने वाली आय से जहां मंडी आर्थिक रूप से मजबूत होगी तो वही इस आय से अन्य निर्माण व विकास कार्य मंडी , किसानों व क्षेत्रवासियों के हित मे किया जा सकेगा ।