Diplomacy of silence : चुप्पी की कूटनीति

Diplomacy of silence :

Diplomacy of silence : चुप्पी की कूटनीति

Diplomacy of silence : ऐसे मुद्दों पर भारत की सोच क्या है- या जिस समय दुनिया साफ तौर पर दो खेमों में बंटती नजर आ रही है, उस समय भारत की विश्व दृष्टि क्या है- यह प्रश्न अपनी जगह बना हुआ है।

Diplomacy of silence : ताइवान संकट दुनिया में लगातार सुर्खियों में है। ताइवान जलडमरूमध्य के आसपास चीन के सैनिक अभ्यास तेज कर देने के फैसले से इस विवाद को लेकर पैदा हुई पैदा हुई गरमी जल्द शांत होने की संभावना नहीं है।

Diplomacy of silence : इस बीच चीन का दावा है कि अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से 160 देशों ने बयान जारी कर चीन के रुख का समर्थन किया है। यानी उन्होंने वन चाइना पॉलिसी के प्रति अपनी वचबद्धता दोहराई है।

Diplomacy of silence : उधर चीन के सैनिक अभ्यास के प्रति पश्चिमी देशों का आक्रामक रुख बना हुआ है। इस बीच जिस एक बड़े देश की आवाज सुनाई नहीं पड़ी है, वह भारत है। इस तरफ तब दुनिया का ध्यान और गया, जब अमेरिका-जापान- ऑस्ट्रेलिया ने एक साझा बयान जारी कर चीन की आलोचना की।

Diplomacy of silence : ये वो तीन देश हैं, जिनके साथ भारत क्वाड्रैंगुलर सिक्युरिटी डायलॉग (क्वैड) में शामिल हुआ था। आम समझ है कि क्वैड का मकसद चीन की बढ़ती ताकत को नियंत्रित करना था।

 अब प्रश्न यह उठा कि क्या भारत ने इस समूह के सदस्य बाकी तीन देशों की राय से अपने को अलग कर लिया? इसके पहले यूक्रेन युद्ध के मामले में भी भारत का रुख उन तीन देशों से अलग रहा। उसके बाद से ही क्वैड की भूमिका और प्रासंगिकता को लेकर सवाल उठने लगे। अब चूंकि चीन के मामले में भारत ने खुद को बाकी तीन देशों के साथ शामिल नहीं किया, तो ये सवाल और गंभीर रूप लेंगे।

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 बहरहाल, यह प्रश्न अपनी जगह कायम है कि क्या यूक्रेन या ताइवान जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मसलों पर चुप्पी भारत की ऐसी कूटनीति है, जिससे उसका अपना हित सधता है? मुमकिन है, ऐसा होता हो। लेकिन ऐसे मुद्दों पर भारत की सोच क्या है- या जिस समय दुनिया साफ तौर पर दो खेमों में बंटती नजर आ रही है, उस समय भारत की विश्व दृष्टि क्या है- यह प्रश्न अपनी जगह बना हुआ है।

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यह तो साफ है कि जब तक इस प्रश्न का उत्तर स्पष्ट नहीं होता, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत कोई प्रभावशाली भूमिका नहीं निभा पाएगा। चुप्पी की अपनी ताकत होती है, लेकिन शब्द ही आखिर में किसी की पहचान बनाते हैँ।

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