diarrhea स्कूली बच्चों को बताई हाथ धोने की सही विधि
diarrhea दुर्ग। बरसात का मौसम आते ही संभावित स्वास्थ्यगत परेशानियों पर नियंत्रण के लिए जिले में हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
इसी कड़ी में जिले में diarrhea नियंत्रण पखवाड़ा शुरू किया गया है, जो 5 जुलाई तक चलेगा।
diarrhea नियंत्रण पखवाड़ा के अंतर्गत स्कूलों में जागरुकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं
जिसमें विभिन्न गतिविधियों को शामिल किया गया है।
जिला स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर यूनिसेफ एवं स्टारलाइट फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में दुर्ग के शासकीय आदर्श कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर यूनिसेफ की जिला समन्वयक निशा सोनी एवं स्टारलाइट फाउंडेशन के प्रतीक ठाकरे ने बच्चों को diarrhea के विषय में जानकारी दी।
diarrhea के लक्षण, उसकी रोकथाम इत्यादि की जानकारी देने के साथ ही बालिकाओं को हाथ धोने की सही विधि भी बताई गई।
बालिकाओं को ओआरएस पाउडर
वहीं 50 से ज्यादा बालिकाओं को ओआरएस पाउडर का वितरण किया गया।
जागरुकता कार्यक्रम के क्रम में विद्यालय के छात्राओं ने रैली निकालकर लोगों को डायरिया नियंत्रण के विषय में जागरूक किया।
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इस अवसर पर यूनिसेफ की जिला समन्वयक निशा सोनी ने स्कूली बच्चों को बतायाः डायरिया को हिंदी में दस्त भी कहते हैं।
यह पाचन तंत्र संबंधित एक विकार या डिसऑर्डर है।
यह समस्या होने पर मल पानी की तरह पतला होता है, लेकिन सावधानी बरतने से डायरिया को रोका जा सकता है।
डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा के संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेपी मेश्राम ने बतायाः बरसात के मौसम में लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता में रखकर जिले में डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जा रहा है।
इसके अंतर्गत डायरिया से बचाव हेतु लोगों को जागरुक करने के लिए स्कूलों व बाजारों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
स्कूलों व समुदाय में हाथ धोने की सही विधि बताई जा रही है तथा ओआरएस पाउडर का वितरण किया जा रहा है।
शिशुओं में होने वाले डायरिया को नजरअंदाज करना गंभीर हो सकता है।
यदि बार-बार मतली और पेट में ऐंठन के साथ डायरिया के लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर्स से तत्काल संपर्क करना चाहिए।
वहीं डायरिया पर नियंत्रण के बारे में डीपीएम पद्माकर शिंदे ने बतायाः डायरिया यानी आंत से संबंधित यह रोग मुख्य रूप से रोटावायरस के कारण होता है।
यह साल्मोनेला या ई-कोलाई जैसे जीवाणुओं, हार्मोनल विकार, आंतों मे सूजन या कुछ दवाओं के सेवन की वजह से भी सकता है।
नियमित स्वच्छता बनाए रखने के साथ ही स्ट्रीट फूड खाने से परहेज किया जाए और साफ-स्वच्छ पानी पीएं तो वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाले रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।