Despedida del señor shri Ganesh धूमधाम से की गई भगवान श्री गणेश की विदाई
Despedida del señor shri Ganesh चारामा ! बीते 11 दिनों से उत्साह के साथ विराजमान भगवान श्री गणेश की विशाल प्रतिमाओं का विसर्जन समितियों के द्वारा धूमधाम से उन्हें विदाई देकर किया गया। बीते 2 सालों से कोरोना के चलते भा गणेश चतुर्थी का पर्व विघ्नहर्ता की कृपा से बिना किसी विघ्न के सफलतापूर्वक संपन्न हुआ । लेकिन विसर्जन के उत्साह की आड़ में जो गंदगी, हुड़दंगता,अश्लीलता समितियों के द्वारा परोसी गई ,जो संदेश त्यौहार लोगों को देना चाहते थे !
Despedida del señor shri Ganesh संदेश लोगों के लिए कई प्रश्न छोड़कर चले गया, त्यौहार हम क्यों मनाते हैं , धर्म क्या है, संस्कृति क्या है, त्यौहार के मायने धर्म को लेकर क्या है, क्योंकि पहली बार देखा गया की नगर में विराजित भगवान गणेश की प्रत्येक मूर्ति के विसर्जन के दौरान लोगों ने विसर्जन की आड़ में बड़े-बड़े डीजे गाजे बाजे की आड़ में अश्लीलता और हुल्लड़ बाजी की मर्यादा को पार कर दिया।
Despedida del señor shri Ganesh शायद ही ऐसी कोई समिति या शायद ही ऐसी कोई रैली हो जिसमें भगवान गणेश विसर्जन यात्रा में शराब के सेवन किए लोग शामिल न हो ,भगवान की भक्ति में जो गाने बजाए जाने चाहिए ,उसके विपरीत अश्लील और अमर्यादित गाने बजाए जा रहे थे, और उन गांनो परजो लोग नाच रहे थे वे भक्ति में नहीं, शराब के नशे में झूम रहे थे, रंग गुलाल तक तो ठीक था, लेकिन लोग रंग गुलाल के साथ-साथ नालियों में किचड़ो में लोट लोट कर मजाक कर रहे थे, जैसे कि होली का पर्व चल रहा हैं, लोग एक दूसरे के कपड़े फाड़ने में लगे हुए थे, लोग कपड़ों के बटन।
Despedida del señor shri Ganesh खोल कर सड़कों पर नाच रहे थे, यह सब किसके लिए हो रहा था, भगवान गणेश की आप विसर्जन यात्रा निकाल रहे थे या धर्म के मजाक की यात्रा निकाल रहे थे।मजे की बात यह है कि यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा था, किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने 11 दिनों में कोई बैठक आयोजित नही की।
Despedida del señor shri Ganesh समिति को कोई निर्देश नहीं दिए गए ।विसर्जन को लेकर कोई तैयारी नहीं की गई ,अगर कोई हादसा हो जाता तो ,उसका जिम्मेदार कौन होता ।इसकी जिम्मेदारी किसकी होती और 3 दिन तक गणेश विसर्जन का कार्यक्रम किया ,लेकिन धर्म और धर्म का मजाक उड़ाया मजाक बनाया जो कि हिंदू धर्म को सोचने पर मजबूर कर दिया है, कि हम पर्व को कैसे मनाते थे और अब कैसे मना रहे हैं ।
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Despedida del señor shri Ganesh इसका प्रभाव हमारे आने वाली पीढ़ी पर क्या हो रहा है हमारे वर्तमान परिस्थितियों पर क्या होगा। सोचने का विषय बन गया है। क्योंकि धर्म हमें शांति प्रेम मर्यादा सिखाता है। लेकिन 3 दिनों तक इन सब के विपरीत काम नगर में होता रहा।