दूषित पानी से बढ़ा खतरा: एक मौत के बाद भी नहीं चेते जिम्मेदार, अब दूसरे गांव में 50 से अधिक बीमार

खैरागढ़। क्षेत्र में स्वच्छ पेयजल संकट अब गंभीर स्वास्थ्य आपदा का रूप लेता जा रहा है। लिमउटोला में 31 अक्टूबर को समारू गोंड (37) की उल्टी-दस्त के कारण हुई मौत के बावजूद विभागीय लापरवाही जस की तस बनी रही। अब पास के नया करेला गांव में दूषित जल सप्लाई से 50 से ज्यादा लोग बीमार पड़ गए हैं। हालात बिगड़ने पर स्वास्थ्य विभाग को आपातकालीन चिकित्सा शिविर लगाना पड़ा, जबकि पाँच गंभीर मरीजों को राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है।

ग्रामीणों की शिकायतों पर नहीं हुई कार्रवाई

लिमउटोला में हुई मौत के बाद ग्रामीणों ने पीएचई विभाग और पंचायत पर लापरवाही का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि—

  • पाइपलाइन लंबे समय से लीकेज थी,
  • सप्लाई लाइन कई जगह नालियों से होकर गुजर रही थी,
  • और शिकायतें करने के बावजूद किसी अधिकारी ने मौके का निरीक्षण तक नहीं किया।

नया करेला में भी स्थिति समान है। कई स्थानों पर टूटी पाइपलाइन से गंदा पानी सीधे सप्लाई में घुस रहा है। ग्रामीणों का कहना है—

“पहले लिमउटोला में मौत हुई, फिर भी जिम्मेदार सोते रहे। अगर उस समय कार्रवाई हो जाती तो आज पूरा गांव बीमार न होता।”


स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ाई निगरानी

लगातार बढ़ते मरीजों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने गांव में चिकित्सा शिविर स्थापित किया है।
खैरागढ़ विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. विवेक सेन ने बताया कि 23 तारीख से मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिसके बाद मेडिकल टीमें सुबह, शाम और रात – तीनों शिफ्ट में तैनात की गई हैं।


पीएचई ने अब शुरू किया पाइपलाइन सुधार

दबाव बढ़ने पर पीएचई विभाग ने जल नमूने संग्रह कर परीक्षण शुरू किया है और पाइपलाइन दुरुस्ती का काम भी कराया जा रहा है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि विभाग हर बार संकट गहराने के बाद ही सक्रिय होता है।


“एक मौत चेतावनी थी, अब पूरा गांव बीमार—कब जागेंगे अधिकारी?”

लिमउटोला में समारू गोंड की मौत को ग्रामीण पहले ही बड़ा संकेत मान रहे थे। अब नया करेला में बढ़ती बीमारी ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। लोगों का कहना है कि—

  • लगातार दूषित पानी पीना उनकी मजबूरी है,
  • प्रशासनिक चुप्पी हालात और बिगाड़ रही है,
  • और अगर विभागों की सुस्ती ऐसे ही रही, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।

खैरागढ़ के लोग बार-बार एक ही सवाल उठा रहे हैं—

“आख़िर कब मिलेगा साफ़ पानी?”

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