Dalli Rajhara Municipality : जनहित कार्यों से आमजनों में बढ़ती पूछ-परख से बौखलाए नपा उपाध्यक्ष : स्वप्निल तिवारी
दल्ली राजहरा नगर पालिका में अध्यक्ष शीबू नायर के नेतृत्व में सभी वार्डों में हो रहे विकास कार्यों से कुंठित हो कर पहले तो उपाध्यक्ष संतोष देवांगन द्वारा बिना किसी पार्षद से चर्चा कर दिखावा स्वरूप कलेक्टर महोदय के समक्ष स्तीफा की
पेशकश की , इस बात से सभी पार्षद नाराज़ हो कर उपाध्यक्ष के खिलाफ लामबंद हुए तो अपनी ज़मीन खिसकती देख न्यायालय का रुख अपनाया और उनके खिलाफ लाये जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर स्थगन आदेश लाकर एक बार फिर अपना चाल चरित्र चेहरा जनता के समक्ष प्रदर्शित कीया।
विदित हो कि अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की पूरी रूप रेखा पार्षद स्वप्निल तिवारी ने अन्य पार्षदों के साथ मिल कर तय की , जिसके बाद से बौखला कर संतोष देवांगन के द्वारा सोशल मीडिया के ज़रिए अनरगलन बयानबाज़ी लगातार किया जा रहा
है । जबकी स्वयं वो मौका परस्त अति उत्साहि कुंठा से लबरेज ब्लेकमेलर दल बदलू व्यक्ति है ये पहले छत्तीसगढ मुक्तिमोर्चा फिर काँग्रेश फिर भारतीय जनता पार्टी जहां पार्टी को नगर पालिका चूनाव मे अपनी आदत के अनुरूप पूरी
पार्टी को धोखा देकर उपाध्यक्ष पद पर काबिज हुआ।
पार्षद स्वनिल तिवारी ने बताया कि राजनीति को आय का जरिया नहीं है , एक पार्षद का मानदेय महीने भर के राशन के
लिए भी अपर्याप्त होता है ।
ऐसे में कोई यदि राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है तो परिवार के प्रति उसकी जिम्मेदारी खत्म नही हो जाती है?
उन्होंने ये जानकारी भी दी कि लाभ के 2 पदों को ले कर संविधानिक नियमानुसार ,
अनुच्छेद 102(1)(a) के अंतर्गत संसद सदस्यों के लिये तथा अनुच्छेद 191(1)(a) के तहत राज्य विधानसभा के सदस्यों
के लिये ऐसे किसी अन्य पद पर को धारण करने की मनाही है जहाँ वेतन, भत्ते या अन्य दूसरी तरह के सरकारी लाभ मिलते हों। इस तरह के लाभ की मात्रा का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
चुनाव पूर्व भी स्वप्निल तिवारी ठेका श्रमिक के रूप मे ठेकेदार का कार्य कर घर के पालन पोषण करने का कार्य करते थे ।
अब यदि पार्षद पद में बैठने के बाद वो कोई ऐसा कार्य कर रहे हैं जिसमे उन्हें सिर्फ मासिक वेतन प्राप्त होता हो , वो भी
बिना किसी सरकारी फायदों के , तो ये किसी भी प्रकार से लाभ के 2 पदों के अंतर्गत नहीं आता । जबकी स्वप्निल तिवारी
पहला व्यक्ति नही है ऐसा पूर्व के पार्षद भी नगर पालिका छोड़कर ठेकाश्रमिक के रूप मे मजदुरी करते आये है।और इमानदारी से अपने परिवार का भरण पोषण करते आये है।
बजाय लोगों को ब्लेकमेलिंग व अवैध उगाही के । इसके द्वारा अपने आपको नगर का सबसे बडा़ आन्दोलनकारी बताना साथ ही मजदूरों के हितों की बात करने वाला ये बता दे की इतने वर्षों मे कीतने मजदुरों को काम दीलवाया है आज इसको
मजदूरों हित नजर आ रहा है।इसि प्रकार अपने आप को पाक साफ कहने वाला ये भी बताये की गत वर्ष दंतेश्वरी माता मंडई मे लगभग डेढ़ लाख(1.50000) रूपये का सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु अपने वार्ड से अवैध वसुली कीया था या नही
ये भी जनमानस मे स्पष्ट करे, और इसी प्रकार रावघाट परियोजना मे नगर के समस्त जनप्रतिनीधीयों द्वारा प्रभाविततों को
मुवावजा दिलवाया गया तो उनको आन्दोलन मे हुये खर्च के नाम पर राशि वसुली कीसने की ये भी बताने की जरूरत है ।
इसके द्वारा सिर्फ और सिर्फ बेरोजगारों को काम दिलवाने की बात कहते हुये गुमराह कर अपना उल्लू सिधा करने काम है अब बेरोजगारों का भ्रम भी इससे टूटने लगा है जिससे इसका बोखलाहट साफ झलक रहा है।
यदि उपाध्यक्ष संतोष देवांगन को ऐसा प्रतीत होता है कि केवल पार्षद मानदेह से गुज़र बसर संभव है तो उन्हें अपना निजी संचालित गैरेज जिसमे स्वयं ठेके मे गाडी़यों का डाला बाॅडी का काम खुद मजदूर रखकर कराता है उसे बन्द कर दिया जाना चाहिए ।
पार्षद स्वप्निल तिवारी ने उपाध्यक्ष संतोष देवांगन को सलाह भी दी कि इस पद को आय का जरिया समझने के बजाए उनकी तरह इस मान देय को वार्ड की जनता को समर्पित करें और अनर्गल प्रलाप करना बंद करे जिससे की अपने हरकतों
से पूर्व मे इन्हे मुसिबतों का सामना करना पडा़ है। बेतुकी लफ्फासि, घाघपन, अपराधिक तिकड़मों से बचते हुये जनता को गुमराह करना छोडें और सत्कर्म करे जिसके उन्हे पद प्राप्त है।