:राजकुमार मल:
भाटापारा- तेवर बेहद गर्म दही मिर्च के। पीछे बड़ी-बिजौरी भी नहीं है। अलबत्ता ठेठरी, खुरमी और अइरसा उतार की ओर हैं। मौसम शीत ऋतु का। सीजन शादी ब्याह का । ऐसे में बड़ी- बिजौरी का बनाया जाना चालू हो चला है। बदलाव पहली बार यह आया है कि घरों में नहीं, अब दुकानों से खरीदी जा सकेंगी यह सभी सामग्रियां। कीमत जरूर हैरत में डाल रही है लेकिन बाजार बढ़त की ओर है।
होश उड़ा रही दही मिर्च
दही मिर्च पीढ़ियों से बनते और सेवन किए जाते रहे हैं लेकिन प्रति किलो कीमत 800 रुपए होश उड़ा रही है। देवांगन खजूर वाला के संचालक मयंक देवांगन इस तेजी को लेकर कहते हैं कि निर्माण में लगने वाली सामग्री की कीमत तेज है। इसके अलावा सूखने के लिए ड्रायर का उपयोग करना पड़ रहा है क्योंकि भरपूर धूप नहीं निकल रही है जबकि मांग का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
महंगी बड़ी-बिजौरी भी
जरूरी दलहन तेज। लाई क्वालिटी का धान महंगा। इसलिए यह तीनों भी बेतरह महंगे हो चले हैं। घरों में बनाने की परंपरा तेजी से खत्म हो रहीं हैं, इसलिए इन सामग्रियों की खरीदी बाजार से करनी होगी। कीमत की बात करें, तो बड़ी-बिजौरी 400 रुपए किलो और लाई बड़ी के लिए भी 400 रुपए खर्च करने होंगे। बढ़ती मांग, कीमत में और बढ़त की ओर इशारा कर रही है, क्योंकि प्रतिकूल मौसम निर्माण पर प्रतिकूल असर डाल रहा है।
स्वीट कॉर्नरों के लिए चुनौती
अईरसा, ठेठरी और खुरमी। छत्तीसगढ़ के यह तीन पारंपरिक व्यंजन पहली बार स्वीट कार्नरों के लिए चुनौती पेश किए हुए हैं क्योंकि दर्जनों मिठाइयों के बीच अईरसा को जबरदस्त प्रतिसाद मिल रहा है। ऐसी ही स्थिति ठेठरी और खुरमी की भी है। कीमत की बात करें, तो अइरसा 280 रुपए किलो और ठेठरी तथा खुरमी, दोनों में प्रति किलो कीमत 300- 300 रुपए बोली जा रही है मालूम हो कि यह दोनों भी अब पूरे साल मांग में आ चुके हैं।