Corruption उप-पंजीयक कार्यालय में भारी भ्रष्टाचार बिना नजराना दिए नहीं होता पंजीयन

Corruption

रामनारायण गौतम

 Corruption उप-पंजीयक की मनमानी से पक्षकार परेशान

 Corruption सक्ती ! उप-पंजीयक की मनमानी से पक्षकार परेशान हो रहे है ! पंजीयन कराने मे छूट रहे पसीने उप-पंजीयक कार्यालय सक्ती में लोगों को अपनी भूमि के क्रय विक्रय के संबंध में पंजीयन कराने पर भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

 Corruption उप-पंजीयक खेमका के अड़ियल रवैये एवं अवैध वसूली के चलते पक्षकारो को रजिस्ट्री के पंजीयन में भारी परेशानी उठानी पड रही है। छत्तीसगढ़ शासन के नियमानुसार भूमि के पंजीयन हेतु बी 1, खसरा, नक्शा की आवश्यकता होती है, अन्य किसी और दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होती है !

 Corruption  विभिन्न उप पंजीयक कार्योलयो में इन्हीं दस्तावेजो के आधार पर पंजीयन किया जाता है किन्तु सक्ती पंजीयन कार्यालय में भूमि के पंजीयन हेतु उप पंजीयक खेमका द्वारा बिक्रीछांट/बिक्री नकल की मांग की जाती है, जिससे पक्षकारों को अनावश्यक संबंधित पटवारी के चक्कर लगाने पड़ते है और पटवारी के न मिलने के कारण कई कई दिनों तक पक्षकारों का पंजीयन कार्य नहीं हो पाता !

 Corruption  जिससे पक्षकारों को आर्थिक नुकसान के साथ साथ शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित होना पड़ता है। सक्ती मे पदस्थ उप पंजीयक खेमका अपने गृह ग्राम नैला से रोज आना जाना करते है एवं मालखरौदा के अतिरिक्त प्रभार मे भी है, जिसके चलते पक्षकारों को पंजीयन कराने में बड़ी कठिनाई होती है। उप पंजीयक के कार्यालय में लेट से पहुचने या मालखरौदा चले जाने के कारण पंजीयन हेतु आये पक्षकारों को बिना पंजीयन कराए बैरंग वापस लौटना पड़ता है।

 Corruption  उप पंजीयक खेमका द्वारा मनवांछित रकम दस्तावेज में नहीं मिलने पर पक्षकार को परेशान किया जाता है और अन्ततः दस्तावेज को न्यून मूल्यांकित मानते हुये अकारण जिला पंजीयक कार्यालय जांजगीर के पास भेज दिया जाता है, जिससे पक्षकारों को अनावश्यक धन एवं समय की बर्बादी होती है, अनावश्यक पक्षकार को परेशानी उठानी पडती है।

 Corruption जबकि उप पंजीयक के द्वारा दस्तावेज को जिला पंजीयक द्वारा उचित मूल्यांकित मानते हुये वापस लौटा दिया जाता है, जिससे स्पष्ट होता है कि इनकी मांग पूरी नहीं होने पर मनवांछित रकम न मिलने के कारण पक्षकार को परेशान करने के उद्देश्य से खेमका द्वारा अकारण जिला पंजीयक के पास दस्तावेज भेजा जाता है।

एक पक्षकार ने नाम न लिखने के शर्त पर बताया कि उप पंजीयक खेमका द्वारा उसके एवं दस्तावेज पंजीयन में 5000/रू. की मांग की राशि नहीं देने पर उसका पंजीयन नहीं किया जाता पीड़ित पक्षकार ने बताया कि मैंने जैसे ही मांगी गई राशि देने पर ही पंजीयन की कार्यवाही की गई। उप पंजीयक कार्यालय में अवैध वसूली का कारोबार जोर शोर से बेरोक टोक चल रहा है जिस पर अवैध वसूली अंकुश लगाना निहायत आवश्यक है।

उप पंजीयक खेमका के द्वारा ऐसे कई रजिस्ट्री किये गये है जिसमें पटवारी की बिक्रीछांट नहीं लगी है परन्तु बिक्रीछांट की जगह मोटी रकम प्राप्त होने पर पंजीयन कर दिया गया जबकि प्रत्येक पंजीयन पर इनके द्वारा बिक्रीछांट की बात कही जाती है बिना बिक्रीछांट के इनके द्वारा पंजीयन नहीं कराया जाता परन्तु बिक्रीछांट के बिना पंजीयन होना समक्ष से परे है उक्त पंजीयन की उच्च स्तरीय जांच की जाये तो भारी भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।

वहीं उप पंजीयक द्वारा खुले आम प्रत्येक पंजीयन पर राशि की मांग की जाती है और उनके द्वारा कहा जाता है कि मुझे भी अपने ऊपर वालों पर राशि पहुंचाना पड़ता है, ऐसा नहीं है कि यह सक्ती की बात है इनके द्वारा वर्तमान में मालखरौदा प्रभार पर है वहां भी इसी तरह से पर पंजीयन पर राशि प्राप्त होने पर ही पंजीयन किया जाता है।

शासन प्रशासन को चाहिए कि वही स्थाई रूप से मालखरौदा पंजीयन कार्यालय में स्थाई रूप से अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए ताकि पंजीयन कराने वाले व्यक्तियों को परेशानियों का सामना न हो और इनके द्वारा प्रत्येक पंजीयन पर राशि ली जाती है उस पर शासन प्रशान को लगाम लगाने की आवश्यकता है।

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