Chhattisgarh news today : आत्मा का परमात्मा के साथ तादात्म्य भाव ही महारास है

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Chhattisgarh news today : आत्मा का परमात्मा के साथ तादात्म्य भाव ही महारास है

Chhattisgarh news today : सक्ती । नगर के हटरी चौक में खरकिया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया गया है जिसमें व्यासपीठ से आचार्य राजेंद्र महराज के द्वारा कथा के छठवें दिन के कथा में कहा कि आत्मा का परमात्मा के साथ तादात्म्य भाव ही महारास है।

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Chhattisgarh news today : रस रूप तो साक्षात भगवान श्री कृष्ण ही हैं । श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध पूर्वार्ध के 5 अध्याय में महारास का वर्णन है । भगवान श्री कृष्ण ने योगमाया का आश्रय लेकर गोपियों को प्रसन्न करने के लिए महारास किया था , रास किसी देह की लीला नहीं है , रासलीला में प्रवेश करने के लिए गोपी बनना अनिवार्य है ,। गोपी का अर्थ है जो अपनी इंद्रियों से श्री कृष्ण प्रेम रस को पीना जानते है , वह स्त्री या पुरुष कोई भी हो सकते हैं ।

Chhattisgarh news today : सक्ती नगर के हटरी चौक में कनीराम मांगे लाल अग्रवाल खरकिया परिवार द्वारा गया श्राद्ध अंतर्गत आयोजित संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा के छठवे दिन महारास का वर्णन करते हुए व्यासपीठ से आचार्य राजेंद्र महाराज ने बताया की महारास करते हुए गोपियों के मन में इस बात का अहंकार आ गया कि मैं सबसे श्रेष्ठ और गुणवती हूं तभी तो श्री कृष्ण मेरे ही हाथ को थाम कर नाच रहे हैं , ऐसा ही सोचकर सभी गोपियों ने अपने मन में अहंकार कर लिया । अहंकार ही भक्त और भगवान के बीच में एक दीवार बनता है , इसे त्यागने से ही भगवान और उनकी कृपा मिलती है ।

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श्री कृष्ण ने गोपियों का साथ छोड़ दिया और एकांत मैं राधा रानी के साथ रास करने लगे। राधा रानी का नाम श्रीमद् भागवत महापुराण में कहीं भी उल्लेख नहीं हुआ है किंतु यही भगवान बांके बिहारी कीआह्लादिनी शक्ति है , उनकी प्राणप्रिया है ।

राधा और श्रीकृष्ण में कोई भेद नहीं समझना चाहिए । दोनों का एकात्म भाव है । जिस प्रकार दूध से उसकी सफेदी कोई अलग नही कर सकता , सूरज से उसका ताप और प्रकाश कोई अलग नहीं कर सकता , आग से जलाने की शक्ति अलग नहीं हो सकती उसी प्रकार राधा और श्रीकृष्ण भी अलग अलग नहीं है ।

राधा नाम का अर्थ है अर्थात मोच्छ या निर्वाण का अर्थ है पाना आचार्य द्वारा कंस वध , जरासंध से युद्ध , यदुवंशियों की रक्षा के लिए नई द्वारिकापुरी का निर्माण , एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह की कथा सुनाई गई !

छठवें दिन की कथा में सक्ति नगर एवं आसपास के ग्रामों से सैकड़ों श्रोताओं ने कथा श्रवण का लाभ एवं संकीर्तन के साथ श्री कृष्ण विवाह उत्सव का आनंद प्राप्त किया !

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