रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने खनन क्षेत्र में अटकी परियोजनाओं को पटरी पर लाने के उद्देश्य से बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया है। राज्य ने भारत सरकार द्वारा 3 जुलाई 2024 को जारी किए गए सतही अधिकार (Surface Rights) संबंधी निर्देशों को पूर्ण रूप से लागू करते हुए RULE-801/97/2025-MRD दिनांक 23 अक्टूबर 2025 के तहत राजपत्र अधिसूचना जारी कर दी है। नई व्यवस्था लागू होते ही नीलाम किए गए खनिज ब्लॉकों में उत्पादन की शुरुआत अब पहले की तुलना में कहीं अधिक तेज़ और सुगम हो सकेगी।
केंद्रीय आदेश का मूल उद्देश्य
भारत सरकार ने समीक्षा में पाया था कि देशभर में नीलाम किए गए सैकड़ों खनिज ब्लॉकों में केवल सीमित संख्या में ही वास्तविक उत्पादन शुरू हो पाया है। सबसे बड़ी बाधा निजी भूमिस्वामियों से सतही अधिकार प्राप्त करने में होने वाली लम्बी देरी को माना गया।
खनिज एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 20A के तहत केंद्र ने सभी राज्यों को सतही अधिकार मुआवजा प्रक्रिया को सरल, समयबद्ध और पारदर्शी बनाने का निर्देश दिया था।

राज्य सरकार की अधिसूचना की मुख्य बातें:-
- जिला कलेक्टरों को सतही मुआवजा निर्धारित करने का अधिकार
छत्तीसगढ़ सरकार ने कलेक्टरों को MCR 2016 के नियम 52 के अनुसार वार्षिक सतही मुआवजा तय करने का विधिक अधिकार प्रदान कर दिया है। पहले यह प्रक्रिया निजी बातचीत और लंबी सौदेबाज़ी में वर्षों तक अटकी रहती थी। - 30 जून तक अनिवार्य भुगतान की व्यवस्था
अब हर वर्ष 30 जून से पहले सतही मुआवजा जमा करना अनिवार्य होगा। अगर किसी वर्ष के मध्य में खनन गतिविधियाँ शुरू हों, तो प्रो-राटा आधार पर भुगतान संचालन शुरू होने से पहले करना होगा। - 30 दिनों में मुआवजा निर्धारण की समय-सीमा
राज्य की अधिसूचना कलेक्टरों को निर्देश देती है कि वे अधिकतम 30 दिनों के भीतर मुआवजा तय करें। इससे लीजधारकों को लंबे इंतज़ार से राहत मिलेगी और प्रारंभिक कार्य तेजी से शुरू हो सकेंगे। - भूमि में प्रवेश की त्वरित अनुमति
सभी विधिक प्रक्रियाएँ पूर्ण होते ही कलेक्टर अब खनन पट्टा धारकों को उनके आवंटित क्षेत्रों में प्रवेश दिला सकेंगे। यह प्रावधान निजी तत्वों या बिचौलियों द्वारा बाधा पैदा करने की संभावनाओं को समाप्त करता है। - द्विभाषीय राजपत्र प्रकाशन से कानूनी मजबूती
अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 348(3) के तहत हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में जारी की गई है, जिससे इसकी वैधानिक स्थिति पूर्णत: स्पष्ट हो जाती है।
उद्योग के लिए बड़ी राहत
NEF सहित कई उद्योग संगठनों ने लगातार यह मुद्दा उठाया था कि भूमि अधिग्रहण और सतही अधिकारों में देरी के कारण नीलामी के बाद भी खनन परियोजनाएँ 3–6 वर्षों तक शुरू नहीं हो पातीं।
अब नई प्रणाली में मुआवजा निर्धारण और भूमि प्रवेश पूरी तरह प्रशासनिक प्रक्रिया होगी—निजी सौदेबाज़ी पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। इससे खदानें 18 महीनों के भीतर संचालन शुरू करने की स्थिति में आ सकती हैं।
भूमि स्वामियों पर प्रभाव
– वार्षिक मुआवजा का निर्धारण सरकारी अधिकारी द्वारा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित
– बिचौलियों, दबाव या अवैध सौदों से सुरक्षा
– भूमि उपयोग के आधार पर स्पष्ट और उचित मुआवजा
सफल बोलीदाताओं के लिए लाभ
– जिला कलेक्टर से सीधा संवाद
– भूमि में प्रवेश के लिए समयबद्ध अनुमति
– लीज निरस्तीकरण या विलंब शुल्क जैसे जोखिमों में कमी
– प्रारंभिक अन्वेषण, सर्वेक्षण और उत्पादन गतिविधियों में तेजी

राज्य की खनिज अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
तेजी से शुरू होने वाली खदानें छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी वित्तीय संभावनाएँ लेकर आएंगी।
राज्य को रॉयल्टी, प्रीमियम, DMF, NMET और विभिन्न करों के माध्यम से अधिक राजस्व मिलने की उम्मीद है।
खनन से संबंधित सहायक उद्योग, परिवहन, मशीनरी और स्थानीय रोजगार में भी वृद्धि होगी, जिससे समग्र आर्थिक गतिविधियों में विस्तार होगा।
इस नई व्यवस्था से छत्तीसगढ़ न केवल केंद्र की सतही अधिकार नीति को पूरी तरह लागू करने वाले अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है, बल्कि उसने खनन परियोजनाओं को तेज़, पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा भी स्थापित कर दिया है। राज्य सरकार की इस पहल से आने वाले वर्षों में खनन गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि और निवेशकों के विश्वास में मजबूती की संभावना है।