Chhattisgarh High Court : तीन न्यायाधिपतियों की उपस्थिति में छत्तीसगढ उच्च न्यायालय में राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस का आयोजन

Chhattisgarh High Court :

Chhattisgarh High Court : जिला न्यायापालिका को सशक्त बनाने तथा सिविल व आपराधिक विधि पर किया गया मंथन

एक सशक्त व निडर जिला न्यायपालिका ही लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में और न्याय प्रदान करने में सक्षम होगी – न्यायाधिपति श्री न्यायमूर्ति सूर्यकान्त

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स आफ छत्तीसगढ़ पुस्तक का न्यायमूर्तिगण ने किया अनावरण

 

Chhattisgarh High Court : रायपुर !   छत्तीसगढ उच्च न्यायालय बिलासपुर में रविवार को जिला न्यायपालिका के सशक्तीकरण व सिविल व आपराधिक विधि पर राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस आयोजित किया गया। इस एतिहासिक कान्फ्रेंस के मुख्य अतिथि सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय श्री न्यायमूर्ति सूर्यकान्त और कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय श्री न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा एवं माननीय श्री न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा रहे। इस कान्फ्रेंस में माननीय उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायमूर्तिगणों द्वारा एक साथ भागीदारी किया जाना कान्फ्रेंस की गंभीरता व महत्व तथा भारत की न्यायपालिका के आधारशिला जिला न्यायपालिका की न्यायदान में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

Related News

राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस का उदघाटन भारत के सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय श्री न्यायमूर्ति सूर्यकान्त द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। मुख्य अतिथि माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय श्री न्यायमूर्ति सूर्यकान्त द्वारा अपने उद्बोधन में व्यक्त किया कि पक्षकारों के सम्पर्क में सर्वप्रथम जिला न्यायपालिका आती है, ऐसी दशा में जिला न्यायपालिका की जिम्मेदारी व भूमिका महत्वपूर्ण है और यदि न्यायाधीश निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध है तो कोई प्रक्रियात्मक व तकनीकी अड़चन न्यायाधीश को एक तार्किक निर्णय लेने में बाधा नहीं बन सकती है।

 

Chhattisgarh High Court :  न्यायाधिपति महोदय ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायदान में आने वाली तकनीकी व प्रक्रियात्मक बाधाओं के प्रति व्यक्तिगत दृष्टिकोण अपनाने के बजाय ऐसी बाधाओं के प्रभावी निवारण के लिए संस्थागत दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। माननीय न्यायाधिपति महोदय ने तुच्छ व तुक्के वाली मुकदमेबाजी की बढ़ती प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने के संबंध में जोर दिया कि न्यायपालिका में झूठ व बेबुनियाद मामलों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए एक मजबूत व साहसी जिला न्यायपालिका तुच्छ व तुक्के वाली मुकदमेबाजी को निपटने में सक्षम हो सकती है।

 

न्यायाधिपति  ने जिला न्यायपालिका के सदस्यों को साहस व ईमानदारी के साथ निर्णय लेने का आह्वान किया।  न्यायाधिपति ने न्यायाधीश के गुणों के संबंध में बताया कि एक न्यायाधीश को बहादुर, साहसी व अपने अंतरात्मा के प्रति ईमानदार होना चाहिए।  न्यायाधिपति ने जिला न्यायपालिका के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि जिला न्यायपालिका की अधीक्षण की शक्ति माननीय उच्च न्यायालय को प्राप्त है अतः जिला न्यायपालिका माननीय उच्च न्यायालय के प्रति अपनी अन्तरात्मा के प्रति और सबसे महत्वपर्ण न्याय के आकांक्षी के रूप में आम जनता के प्रति जवाबदेह है।

 

माननीय न्यायाधिपति महोदय ने आम जनता के प्रति जिला न्यायपालिका की जिम्मेदारी के संबंध में व्यवत्त किया कि एक पक्षकार किसी न्यायाधीश को नहीं जानता है और वह इस आस्था व विश्वास के साथ आता है कि उसके साथ न्याय होगा अत हमारा दायित्व है कि हम उनकी आस्था और विश्वास को बनाए रखें।

माननीय  न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने अपने मुख्य भाषण में जिला न्यायपालिका के भूमिका व महत्व पर जोर देते हुए व्यक्त किया कि भारत में जिला न्यायपालिका केवल वैधानिक न्यायालय ही नहीं है बल्कि इसकी जड़ें भारत के संविधान में अवस्थित है। उन्होनें जिला न्यायपालिका के महत्व पर बल देते हुए कहा कि जिला न्यायपालिका भौगोलिक व भाषायी पहुंच में पक्षकारों के निकट होती है। जिला न्यायपालिका स्थानीय स्तर पर लोगों की प्रथा रीति-रिवाज बोली को ज्यादा अच्छे तरीके से समझती है।

न्यायाधिपति ने जिला न्यायपालिका की सिविल व व्यक्तिगत स्वतंत्रता की भूमिका को रेखांकित करते हुए जिला न्यायपालिका को सिविल व आपराधिक दोनों क्षेत्रों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षक बताया। माननीय न्यायाधिपति महोदय ने जिला न्यायपालिका को आवश्यक संसाधन व तकनीकी ज्ञान से सुसज्जित करने पर जोर देते हुए आगाह किया कि न्यायिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में पूरी तरह से प्रौद्योगिक या आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस पर निर्भर नहीं होना है क्योंकि यह साक्ष्य व तर्कों के आधार पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने उदबोधन में जिला न्यायपालिका के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिला न्यायपालिका का दृष्टिकोण व कानूनी प्रावधानों का निर्वचन बहुत महत्वपूर्ण है और यह उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय द्वारा किए जाने वाले निर्वचन के लिए आधार प्रदान करता है। न्यायाधिपति ने व्यक्त किया कि नए प्रावधानों के लागू होने से कानूनों के प्रति जिला न्यायपालिका का दृष्टिकोण व निर्वचन अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है इसलिए जिला न्यायपालिका को कानूनों को लागू करने में व निर्वचन करने में अत्यंत सतर्क रहना होगा।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति माननीय श्री न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि सभी के सामूहिक प्रयासों से हम एक सशक्त व प्रभावी जिला न्यायपालिका को सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे और आज की यह कान्फ्रेंस जिला न्यायपालिका को सशक्त करने के हमारे प्रतिबद्धता को दर्शाता है। माननीय मुख्य न्यायाधिपति महोदय द्वारा विश्वास व्यवत किया गया कि आज की यह कान्फ्रेंस अपने उददेश्यों को प्राप्त करेगी और हम लोग जिला न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियों को और बेहतर ढंग से निपटने में सक्षम होंगे तथा और अधिक सशक्त व प्रभावी जिला न्यायपालिका बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे। माननीय मुख्य न्यायाधिपति महोदय ने यह भी व्यक्त किया कि इस कान्फ्रेंस के तकनीकी सत्र निश्चित तौर पर न्यायिक अधिकारियों की सिविल व आपराधिक विधि के संबंध में समझ को और विस्तृत व वर्धित करने वाला होगा।

Chief Minister Vishnudev Sai : बंजारी धाम परिसर में ब्रम्हलीन विभूतियों के प्रतिमा अनावरण में शामिल हुए मुख्यमंत्री  

 

Chhattisgarh High Court :  इस कान्फ्रेंस के दौरान छत्तीसगढ जिला न्यायपालिका पर एक पुस्तक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स आफ छत्तीसगढ़ का अनावरण माननीय न्यायमूर्तिगण द्वारा किया गया। इस पुस्तक में राज्य के समस्त जिला न्यायालयों के बारे में जानकारी के साथ साथ जिले के इतिहास, संस्कृति व विविधता के बारे में सारगर्भित जानकारी के साथ साथ न्यायिक अधिकारियों के विद्धतापूर्ण लेख भी समाविष्ट हैं ।इस राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस के उदघाटन सत्र के समापन पर माननीय श्री न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

Related News