CG Sarsiwa : श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस व्यासपीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवताचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा ध्रुव चरित्र का वर्णन

CG Sarsiwa : श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस व्यासपीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवताचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा ध्रुव चरित्र का वर्णन

CG Sarsiwa : श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस व्यासपीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवताचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा ध्रुव चरित्र का वर्णन

सक्ती सरसीवा सारंगढ़ बिलाईगढ़
CG Sarsiwa :  में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस व्यासपीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवताचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए बताया गया कि भगवान हमेशा अपने भक्तों का मान रखते हैं

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CG Sarsiwa :  और भगवान भक्त के वश में हो जाते हैं , एक भक्त होता है जो भगवान को साथ में आसमान से भी नीचे उतार सकता है , 5 वर्ष के बालक ध्रुव ने दृढ़ संकल्प किया था

कि या तो मैं अपने कार्य को सिद्ध करूंगा अथवा अपने देश का ही परित्याग कर दूंगा , और उसे भगवान का साक्षात दर्शन भी हो गया आचार्य ने बताया कि दृढ़ संकल्प कर लेने पर कठिन से कठिन कार्य भी सिद्ध हो जाता है ।

बाल्यकाल में ही भगवान की भक्ति करने से बच्चों की बुद्धि प्रबुद्ध होती है , जवानी में भगवान की भक्ति करने से जवानी शुद्ध होती है और वृद्धावस्था में भगवान की भक्ति करने से बुढ़ापा भी सिद्ध हो जाती है ।

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भगवान की भक्ति करने के लिए बुढ़ापा की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए । मनुष्य जीवन का लक्ष्य भगवत परायण बनना है अर्थात भक्ति ही सर्वोपरि है , भक्ति करके ही मुक्ति की कामना पूरी हो सकती है ।

संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि प्रत्येक मनुष्य यह जानता है कि मेरी मृत्यु निश्चित है फिर भी वह अज्ञानी जैसा जीवन व्यतीत करता है जैसे कि मैं कभी मरूंगा ही नहीं ।

मनुष्य की आयु जल से भरा हुआ एक घड़े के ही समान है जिस घड़े के नीचे एक छेद भी है , अर्थात मनुष्य की आयु पल प्रतिपल स्वास स्वास में घटती ही जा रही है

, इसलिए जब तक शरीर में चैतन्य भाव है अपने ज्ञान , विवेक और सद्बुद्धि का सदुपयोग करते हुए नित्य ही भगवान की भक्ति करनी चाहिए ।

दुनिया की कोई अन्य संग्रहित वस्तु मनुष्य के साथ जाती ही नहीं है केवल उसके अध्यात्म और धर्म भाव तथा भक्ति ही मुक्ति के कारण बनते हैं । आचार्य राजेंद्र महाराज द्वारा भगवान के 24 अवतारों का वर्णन , दिति कश्यप संवाद , सृष्टि वर्णन और ध्रुव चरित्र की कथा का विस्तार से वर्णन किया गया

श्रीमद्भागवत के दूसरे दिन की कथा श्रवण का लाभ सैकड़ों लोगों को प्राप्त हुआ , मधुर संगीत संकीर्तन और जीवंत झांकियों का श्रोताओं ने आनंद प्राप्त किया यज्ञ के आयोजक मीरा राम जी दुबे द्वारा कथा श्रवण लाभ प्राप्त करने की अपील की गई है ।

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