नई दिल्ली। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं, पहली याचिका में ED द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाया है और दूसरी याचिका में PMLA की धारा 50 और 63 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने चैतन्य बघेल की उस याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) से 10 दिनों में जवाब देने को कहा है जिसमें उन्होंने शराब घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाला बागची की बेंच ने इस मामले में ED को नोटिस जारी किया।

जस्टिस बागची ने आज सुनवाई के दौरान कहा, “गिरफ्तारी के कारणों से ज़्यादा, यह सेक्शन 190 (BNSS, 2023) की व्याख्या के बारे में है।” ED की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने जवाब दिया, “इस कोर्ट ने मुझे 3 महीने में जांच पूरी करने का समय दिया था।” कोर्ट ने ED को दस दिनों के अंदर अपना जवाब (काउंटर एफिडेविट) दाखिल करने का आदेश दिया। चैतन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी को लंबा खींचने के लिए मुकदमे में अनावश्यक रूप से देरी कर रही है।
हरिहरन ने कहा कि ईडी ने गिरफ्तारी का आधार जांच में असहयोग बताया जबकि कभी नोटिस ही नहीं भेजा। कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी ने बिना बुलाए धारा 19 (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार कर लिया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि असहयोग ही एकमात्र आधार नहीं है। बघेल ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के मुख्य प्रावधान को चुनौती दी है। छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में चैतन्य पर शेल कंपनियों के ज़रिए हेराफेरी के आरोप हैं। 17 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी।
 
	
 
											 
											 
											 
											